प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र दिया है, जो लोगों को डिजिटल माध्यमों पर नियंत्रण और सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ का तात्पर्य ऐसी स्थितियों से है, जब लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं, अफवाहों, और भ्रम में फंस जाते हैं, जो उनकी स्वतंत्र सोच और विवेक को प्रभावित करती हैं। इस समस्या के गंभीर प्रभावों के साथ-साथ इसे रोकने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश और इसके प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण नीचे दिया गया है।
डिजिटल अरेस्ट का अर्थ है किसी व्यक्ति का डिजिटल माध्यमों में इतने उलझ जाना कि वह यथार्थ से दूर होकर एक तरह के मानसिक गिरफ्त में फंस जाता है। सोशल मीडिया, नकली समाचार, षड्यंत्र सिद्धांत, और गलत जानकारी का प्रसार इस समस्या को बढ़ाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसी संदर्भ में युवाओं और आम जनता को सतर्क किया है कि डिजिटल जानकारी को जाँच-परख कर ही अपनी राय बनाएं।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल जानकारी के संदर्भ में ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र दिया है। इसका अर्थ है कि किसी भी डिजिटल जानकारी को तुरंत साझा करने या उस पर प्रतिक्रिया देने से पहले व्यक्ति को रुकना चाहिए, उस पर सोच-समझ कर विचार करना चाहिए, और फिर उचित कदम उठाना चाहिए। इस मंत्र में सावधानी, सूझबूझ, और सक्रियता का समावेश है।
रूको यह कदम व्यक्ति को तुरंत प्रतिक्रिया देने से रोकने के लिए है। जल्दबाजी में की गई प्रतिक्रियाएं गलत जानकारी को फैलाने में योगदान देती हैं।
सोचो किसी भी जानकारी पर प्रतिक्रिया देने से पहले उसकी सत्यता, स्रोत, और उसके प्रभावों पर विचार करना आवश्यक है।
एक्शन लो यदि जानकारी सही है, तो उस पर सोच-समझ कर कदम उठाना चाहिए। यदि जानकारी झूठी है, तो उसे खारिज कर देना चाहिए और जरूरत हो तो इसे रिपोर्ट भी करना चाहिए।
डिजिटल अरेस्ट के कारण और प्रभाव
सोशल मीडिया का अति प्रयोग सोशल मीडिया लोगों को मानसिक रूप से नियंत्रित करने का सबसे बड़ा साधन बन गया है। वहाँ पर प्रस्तुत की गई सामग्री लोगों के विचारों और व्यवहारों पर सीधा असर डालती है।
नकली समाचार और अफवाहें आजकल इंटरनेट पर नकली समाचार और अफवाहें बड़ी तेजी से फैल रही हैं। यह लोगों को गलत दिशा में ले जाने में सहायक होती हैं।
प्रोपगैंडा विभिन्न एजेंसियाँ और समूह अपने एजेंडे के लिए डिजिटल माध्यमों का प्रयोग करते हैं, जो लोगों को मानसिक रूप से नियंत्रित करने का प्रयास करती हैं।
डिजिटल एडिक्शन डिजिटल माध्यमों पर अत्यधिक समय बिताने से लोगों का मानसिक विकास प्रभावित होता है, जिससे वे डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं।
इसका समाज और व्यक्तियों पर गहरा असर होता है। डिजिटल अरेस्ट के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, व्यक्तिगत संबंधों में दूरी बढ़ती है, और निर्णय क्षमता कमजोर होती है।
प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए समाधान
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल अरेस्ट से निपटने के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं:
शिक्षा और जागरूकता डिजिटल जानकारी की समझ बढ़ाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। सरकार को शिक्षा संस्थानों और सामुदायिक केंद्रों में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
फैक्ट-चेकिंग प्लेटफार्मों का इस्तेमाल: नकली समाचारों और अफवाहों से बचने के लिए, लोग विभिन्न फैक्ट-चेकिंग प्लेटफार्मों का उपयोग कर सकते हैं।
सोशल मीडिया के लिए उचित दिशानिर्देश: सोशल मीडिया कंपनियों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने प्लेटफार्मों पर गलत जानकारी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
व्यक्तिगत अनुशासन प्रत्येक व्यक्ति को डिजिटल जानकारी पर प्रतिक्रिया देने से पहले खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए ।
प्रधानमंत्री का ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ मंत्र डिजिटल युग में अत्यधिक प्रासंगिक है। यह मंत्र न केवल लोगों को डिजिटल माध्यमों में आत्म-नियंत्रण का महत्व समझाता है, बल्कि उन्हें अपने निर्णयों को सोच-समझ कर लेने के लिए प्रेरित करता है। डिजिटल अरेस्ट से निपटने के लिए शिक्षा, जागरूकता, और व्यक्तिगत अनुशासन आवश्यक है। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण समाज को डिजिटल माध्यमों के सशक्तिकरण की दिशा में ले जाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
Leave a Reply