रायपुर में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की रेड से जुड़े मामले में कारोबारी गौरव मेहता के आवास पर बड़ी कार्रवाई हुई है। यह छापा महाराष्ट्र के 6600 करोड़ रुपए के कथित क्रिप्टो करेंसी घोटाले से जुड़ा हुआ है। ईडी की टीम ने पिछले 10 घंटे से जांच कर रही है, और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के अधिकारी भी इसमें शामिल हो गए हैं। ईडी की कार्रवाई के बाद सीबीआई मामले की आगे जांच करेगी।
6600 करोड़ रुपए का यह घोटाला भारत में अब तक का सबसे बड़ा क्रिप्टो करेंसी फ्रॉड बताया जा रहा है। इसे एक पोंजी स्कीम के माध्यम से अंजाम दिया गया, जिसमें निवेशकों को उच्च रिटर्न का वादा किया गया था। इस योजना में बिटकॉइन और एक अन्य क्रिप्टो करेंसी में निवेश के झूठे दावे किए गए थे।
इस मामले में सिंगापुर स्थित एक कंपनी, वैरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड, से जुड़े लोग संदिग्ध हैं। आरोप है कि कंपनी के निदेशकों ने प्रति बिटकॉइन 10% मासिक रिटर्न का झूठा आश्वासन देकर निवेशकों को गुमराह किया। इसी मामले से जुड़े सिंपी और अजय भारद्वाज नामक व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज कर रखा है।
इस रेड के दौरान ईडी ने कारोबारी गौरव मेहता के घर से दस्तावेज, डिजिटल डेटा, और अन्य साक्ष्य जुटाए। यह माना जा रहा है कि इस मामले की कड़ियां विभिन्न राज्यों में फैली हैं, जिनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, और हरियाणा शामिल हैं। ईडी की जांच पूरी होने के बाद सीबीआई इसकी गहराई से जांच करेगी।
इस मामले का असर न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि साइबर धोखाधड़ी और क्रिप्टो करेंसी के विनियमन के लिए सरकार की रणनीतियों पर भी पड़ सकता है। मामले से जुड़े और तथ्य सामने आने पर यह घोटाला और बड़े स्तर पर उजागर हो सकता है।
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