जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खंडवा के भाजपा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के विरुद्ध चुनाव याचिका की सुनवाई करते हुए सिटीजन को-आॅपरेटिव बैंक, बुरहानपुर के महाप्रबंधक या मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मूल दस्तावेजों सहित उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। बैंक अधिकारी के आने-जाने सहित अन्य खर्च का भुगतान सांसद पाटिल को करना होगा। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि यदि आदेश तिथि से पाँच दिन के भीतर सांसद पाटिल ने निर्देश का पालन नहीं किया तो चुनाव याचिका निरस्त करने की माँग संबंधी उनका अंतरिम आवेदन स्वत: प्रभाव से निरस्त हो जाएगा। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 8 नवंबर को नियत की है। लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पराजित प्रत्याशी नरेन्द्र पटेल की ओर से अधिवक्ता अभिषेक अरजरिया ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भाजपा के टिकट पर खंडवा के सांसद निर्वाचित हुए ज्ञानेश्वर पाटिल ने नामांकन के समय झूठा शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था। उन्होंने सिटीजन को-आॅपरेटिव बैंक, बुरहानपुर से लिए गए लोन की राशि का लाखों का भुगतान लंबित होने की जानकारी छिपाई थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत के अनुसार यदि कोई प्रत्याशी अपने नामांकन पत्र में लोन डिफाॅल्ट की जानकारी छिपाता है तो उसका यह रवैया भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आएगा। वहीं दूसरी ओर सांसद पाटिल के वकील ने दलील दी कि बैंक का लोन संबंधी डिफाल्ट नामांकन के समय नहीं था, इसलिए नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप अनुचित है। चुनाव याचिका निरस्त कर दी जानी चाहिए।

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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)

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