-हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को दिए निर्देश
-पुलिस हिरासत में युवक से मारपीट के आरोपित टीआई सहित समूचे स्टाफ पर एक लाख 20 हजार का जुर्माना
-घटना में शामिल पुलिस कर्मियों को वर्तमान थाने से 900 किलोमीटर दूर स्थानांतरित करने के भी दिए निर्देश
जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकलपीठ ने प्रदेश के पुलिस थानों के प्रत्येक कमरे में आडियो सुविधा के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस सिलसिले में सख्त निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में नाराजगी जताते हुए कहा है कि पूर्व में एसपी ग्वालियर को दिए निर्देश का ठीक से पालन न होना चिंताजनक है। लिहाजा, पुलिस महानिदेशक राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों से रिपोर्ट प्राप्त करें। इस मामले में किसी भी तरह की चूक पर अवमानना कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुलिस महानिदेशक प्रत्येक जिले के प्रत्येक पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तुरंत मंगाकर सुनिश्चित करें कि क्या उनके जिले में स्थित पुलिस स्टेशनों के भीतर कोई कमरा या स्थान ब्लैक स्पाट यानि सीसीटीवी कैमरा के बिना तो नहीं है।
एक माह में रिपोर्ट लें, तीन माह में हो जाए परिपालन:
हाई कोर्ट ने साफ किया कि आदेश तिथि से से तीन माह की अवधि के भीतर पुलिस स्टेशन के भीतर हर कमरे और हर स्थान पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। प्रत्येक पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट आज से एक महीने की अवधि के भीतर उन्हें प्राप्त हो जाए और उसके बाद, संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थित हर कमरे सहित हर स्थान को उसके बाद से दो महीने की अवधि के भीतर सीसीटीवी कैमरे के कवरेज क्षेत्र में लाया जाए। भविष्य में यदि यह पाया जाता है कि किसी पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे के कवरेज क्षेत्र के बाहर कोई क्षेत्र छोड़ दिया गया था, तो ऐसी चूक को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। उक्त जिले के पुलिस अधीक्षक और संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस महानिदेशक 18 फरवरी, 2025 तक पेश करें रिपोर्ट :
हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वे मध्य प्रदेश राज्य के सभी पुलिस थानों में प्रत्येक स्थान पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के संबंध में अपनी रिपोर्ट 18 फरवरी, 2025 तक प्रस्तुत करें। यदि रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती है तो इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। साथ ही अदालत की अवमानना के लिए एक अलग मामला दर्ज किया जाएगा। हाई कोर्ट के आदेश की एक प्रति पुलिस महानिदेशक को आवश्यक जानकारी एवं अनुपालन हेतु तत्काल भेजी जाए।
-क्या था मूल मामला :
हाई कोर्ट ने जिस याचिका पर उक्त राज्यव्यापी आदेश पारित किया वह अनूपपुर निवासी अखिलेश पांडे नाकम युवक ने दायर की थी। उसकी ओर से अधिवक्ता अभिषेक पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता एक कंपनी का मैनेजर है। अनूपपुर के भालूमाड़ा थाने की पुलिस उससे पांच हजार रिश्वत मांग रही थी। राशि न देने पर फर्जी अपराध दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया गया। थाने में मारपीट की गई। एक पुलिस कर्मी ने स्वयं अपनी वर्दी फाड़ी और दोष याचिकाकर्ता पर मढ़ दिया। सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद सारा माजारा हाई कोर्ट के सामने स्पष्ट हो गया। जिसे गंभीरता से लेकर आरोपित पुलिस कर्मियों पर एक लाख 20 हजार का जुर्माना लगा दिया गया। यह राशि याचिकाकर्ता को मिलेगी। यही नहीं घटना के दिन तैनात टीआई सहित समूचे स्टाफ को 900 किलोमीटर दूर स्थानांतरित करने का भी सख्त आदेश सुना दिया गया।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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