
भारत के इतिहास में घोटालों की जब भी बात होगी, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का ज़िक्र अवश्य किया जाएगा। यह घोटाला न केवल आर्थिक रूप से भारत की बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर आघात था, बल्कि इसने जांच एजेंसियों की वैश्विक सक्रियता और प्रत्यर्पण प्रणाली की सीमाओं को भी उजागर किया। इस घोटाले के दो प्रमुख चेहरे—नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी—ने भारत से फरार होकर विदेशों में शरण ली। जबकि नीरव मोदी को लंदन में गिरफ्तार कर भारत लाने की प्रक्रिया जारी है, वहीं मेहुल चोकसी अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं—इस बार बेल्जियम में गिरफ्तारी के कारण।
PNB घोटाले का संक्षिप्त परिचय वर्ष 2018 राशि लगभग 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला संस्था पंजाब नेशनल बैंक (PNB)मुख्य आरोपी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी
आरोप बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के ज़रिए विदेशी बैंकों से ऋण लेना।
मेहुल चोकसी का अब तक का सफर भारत से पलायन (2018)
घोटाले के उजागर होने से ठीक पहले चोकसी भारत से फरार हो गया। उसने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले ली, और वहीं बस गया। डोमिनिका प्रकरण (2021)
मेहुल चोकसी को रहस्यमयी परिस्थितियों में डोमिनिका में पकड़ा गया, जहां उसे एंटीगुआ से जबरन लाए जाने का दावा किया गया।
चोकसी ने अपनी बीमारी, अपहरण और मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर बार-बार भारत प्रत्यर्पण का विरोध किया। बेल्जियम में प्रकट होना (2024-2025)
रिपोर्ट्स के अनुसार, मेहुल चोकसी इलाज के बहाने बेल्जियम गया और वहीं पर बेल्जियम पुलिस द्वारा 11 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया।
एंटवर्प, बेल्जियम—हीरे के व्यापार का वैश्विक केंद्र, जहां चोकसी का लंबे समय से व्यावसायिक संबंध रहा है।
परिवार के साथ निवास वह अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहा था, जिनके पास पहले से बेल्जियम की नागरिकता है।
रेसिडेंसी स्टेटस उसे ‘एफ रेसिडेंसी कार्ड’ प्राप्त हुआ है, जो उसे यूरोप में रहने की अनुमति देता है।
गिरफ्तारी की पुष्टि बेल्जियम के स्थानीय मीडिया और भारतीय खुफिया सूत्रों ने 11 अप्रैल 2025 को उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की।
भारत की कानूनी प्रक्रिया और प्रत्यर्पण प्रयास ED और CBI की सक्रियता
भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पहले से ही मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की मांग बेल्जियम से कर रखी थी। नए कानूनी दांवपेंच
चोकसी के पास बेल्जियम में कानूनी शरण के अधिकार और नागरिक पत्नी के कारण मामला जटिल हो सकता है।
भारत को यूरोपीय संघ की प्रत्यर्पण संधियों और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक सहयोग समझौतों का सहारा लेना होगा। भारत की ओर से दबाव
विदेश मंत्रालय और केंद्रीय एजेंसियां बेल्जियम से चोकसी को भारत वापस लाने के लिए कानूनी प्रक्रिया में जुटी हैं। भारत के पास सबूतों की लंबी श्रृंखला है। भारत की वैश्विक छवि
यह गिरफ्तारी भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हो सकती है यदि वह चोकसी को वापस लाने में सफल होता है।
एंटीगुआ और डोमिनिका की भूमिका
इन देशों ने पहले चोकसी को आश्रय दिया था, लेकिन अब बेल्जियम जैसे देश में गिरफ्तारी भारत के पक्ष में स्थिति को मजबूत कर सकती है।
Interpol की भूमिका
चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस पहले ही जारी हो चुका था, जिसे बेल्जियम पुलिस ने गंभीरता से लिया।
मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी भारत के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से बताया कि कोई भी अपराधी कानून से ऊपर नहीं है। भारत अब अधिक आत्मविश्वास के साथ अपने दोषियों को दुनिया के किसी भी कोने से वापस लाने की ओर बढ़ रहा है। यदि प्रत्यर्पण सफल होता है, तो यह न केवल आर्थिक न्याय की विजय होगी, बल्कि यह भी संकेत होगा कि संविधान और व्यवस्था अब और अधिक प्रभावी हो गई है।
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