
आज, 14 अप्रैल 2025, हम भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की 134वीं जयंती मना रहे हैं। वे भारतीय संविधान के शिल्पकार, सामाजिक न्याय के अग्रदूत और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्षरत महान नेता थे। इस विशेष अवसर पर, आइए उनके जीवन, संविधान निर्माण में योगदान और आरक्षण नीति पर उनके दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर का योगदान
डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और सामाजिक न्याय की गहरी समझ ने भारतीय संविधान को एक समावेशी और लोकतांत्रिक दस्तावेज बनाने में मदद की। उन्होंने मौलिक अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता, संघीय ढांचे और न्यायपालिका की स्वतंत्रता जैसे सिद्धांतों को संविधान में शामिल किया, जिससे सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित हो सके।
शिक्षा और सामाजिक सुधार
आरक्षण नीति पर डॉ. अंबेडकर का दृष्टिकोण
वैश्विक मान्यता
डॉ. अंबेडकर के विचार और कार्य न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मान्यता प्राप्त कर रहे हैं। हाल ही में, न्यूयॉर्क सिटी के मेयर एरिक एडम्स ने 14 अप्रैल को ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर दिवस’ घोषित किया, जो उनके मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रति योगदान को सम्मानित करता है।
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