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फर्जी बोर्ड, रुतबा गढ़ते नेता और बेबस प्रशासन!

फर्जी बोर्ड, रुतबा गढ़ते नेता और बेबस प्रशासन!



अनुपपुर।
नेता बनना है? कोई संगठन चाहिए? नहीं-नहीं, चुनाव लड़ने की भी जरूरत नहीं! बस एक झकास सी गाड़ी लो, उस पर कोई भी तगड़ा पद लिखवा लो—”CMO”, “प्रेस”, “सरकारी ठेका”, “नगर पालिका”, “मंत्री प्रतिनिधि”— और फिर देखो, सड़क पर आपकी ही हुकूमत चलेगी!

ताजा मामला अनुपपुर जिले के फुनगा चौकी क्षेत्र से सामने आया, जहां एक फर्जी बोर्ड लगी काली कार ने 8 वर्षीय मासूम बालिका प्रिंसी नामदेव को टक्कर मार दी। मासूम को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन रास्ते में ही उसकी सांसें थम गईं। हादसे के बाद गाड़ी मौके से फरार हो गई, लेकिन सीसीटीवी कैमरे और घटनास्थल पर गिरे बोर्ड ने उस गाड़ी का असली चेहरा बेनकाब कर दिया।
कौन हैं ये बिना नंबर प्लेट वाले वीआईपी?
प्रदेश में नेताओं और अधिकारियों के चमचे ऐसी गाड़ियों से धौंस जमाते फिरते हैं जिन पर किसी न किसी सरकारी विभाग या राजनीतिक संगठन का बोर्ड लगा होता है। ये बिना किसी वैध दस्तावेज के नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, पुलिस, या अन्य सरकारी विभागों में अपने परिचितों के नाम पर गाड़ियां किराए पर लगवाकर सरकारी पैसा डकार रहे हैं। सरकारी गाड़ी में घूमना है, लेकिन उसमें भरा हुआ डीजल भी सरकारी चाहिए और उससे निजी सैर-सपाटे भी करने हैं!
बिना नंबर प्लेट या फर्जी बोर्ड लगी गाड़ियां शहर भर में बेलगाम घूम रही हैं। कई तो बिना टेंडर प्रक्रिया के ही विभागों में किराए पर चलाई जा रही हैं, और इसका कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जाता। क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं? या जान-बूझकर अनदेखी की जा रही है?
सरकारी संसाधनों की खुली लूट
नगर पालिका से लेकर अन्य विभागों में ठेके के नाम पर गाड़ियां हड़पी जा रही हैं। ये गाड़ियां निजी कामों में दौड़ती हैं, नेताओं के घर राशन लाती हैं, बच्चों को स्कूल छोड़ती हैं, बीवियों को मार्केट ले जाती हैं, और जनता की जेब से सरकारी किराया वसूला जाता है। वाहनों की लॉग बुक अगर चेक की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
क्या कोई कार्रवाई होगी या सिर्फ लीपापोती?
अब सवाल उठता है कि इन नेताओं और अधिकारियों के पालतू चमचों को किसने गाड़ियों पर सरकारी विभागों के बोर्ड लगाने की छूट दी? क्या इन फर्जी बोर्डों को लगाने की अनुमति सरकार ने दी है या ये अपनी खुद की सरकार चला रहे हैं?

पुलिस अधीक्षक मोती उर रहमान भले ही सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन असली चुनौती इन बेलगाम नेताओं और उनके गुर्गों पर लगाम कसने की है। बिना नंबर प्लेट गाड़ियों पर कार्रवाई कब होगी? क्या ऐसे फर्जी बोर्डों को हटाने के लिए कोई विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा?
जांच होनी चाहिए
फर्जी पदाधिकारी बोर्ड वाले वाहनों की लिस्ट बनाई जाए।
सरकारी विभागों में ठेके पर चल रही गाड़ियों की लॉग बुक चेक की जाए। बिना निविदा प्रकाशन टेंडर पास हुए सरकारी गाड़ियों को तुरंत जब्त किया जाए। बिना नंबर प्लेट और फर्जी बोर्ड वाले वाहनों पर जुर्माने और सख्त कार्रवाई का आदेश दिया जाए।
यदि कोई नेता, अधिकारी या पत्रकार नियमों का उल्लंघन करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।
इनका कहना है
“फरार वाहन को जप्त कर लिया गया है। चालक और वाहन मालिक की तलाश जारी है। मामले की जांच चल रही है और जल्द ही खुलासा होगा।”
सोने सिंह परस्ते, चौकी प्रभारी फुनगा
लेकिन सवाल वही है— क्या सिर्फ एक वाहन पकड़ने से सिस्टम सुधर जाएगा या फिर यह गाड़ियां यूं ही धौंस जमाते सड़क पर मौत बांटती रहेंगी?

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One response to “फर्जी बोर्ड, रुतबा गढ़ते नेता और बेबस प्रशासन!”

  1. HARI narayan tiwari Avatar

    gadi pakad gai to malik ko pakne me kya dikkat hai police etna bilaf kyo kar Rahi hai

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Kailash Pandey
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