, , ,

कुंभ में पुण्य कमाने आए श्रद्धालु, लेकिन हर कदम पर ‘धार्मिक लुटेरों’ के जाल में फंस रहे

कुंभ में पुण्य कमाने आए श्रद्धालु, लेकिन हर कदम पर ‘धार्मिक लुटेरों’ के जाल में फंस रहे

कुंभ में आस्था पर भारी मुनाफाखोरी! श्रद्धालुओं की भावनाओं को लूट रहे होटल, परिवहन, खाने-पीने से लेकर प्रसाद तक के ‘धार्मिक ठग’
कुंभ मेला, जो आध्यात्मिकता और श्रद्धा का सबसे बड़ा संगम माना जाता है, अब व्यवसायियों और माफियाओं के लिए कमाई का ‘स्वर्ण अवसर’ बन चुका है। लाखों श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर कुंभ में पहुंचे हैं, लेकिन हर जगह उन्हें ठगे जाने का अहसास हो रहा है। होटल व्यवसायियों, ट्रांसपोर्ट माफिया, खाने-पीने के दुकानदारों, साधु-महंतों तक ने श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आइए जानते हैं कि कैसे विभिन्न स्तरों पर श्रद्धालुओं की आस्था पर ‘धार्मिक ठग’ भारी पड़ रहे हैं। 1. होटल और लॉज – 10 गुना महंगे किराए, मजबूरी में लुटते श्रद्धालु
रीवा सहित कुंभ नगरी के आसपास के होटलों में 1000 रुपये का कमरा 10,000 रुपये तक में बेचा जा रहा है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते होटल व्यवसायियों ने अपने रेट मनमाने तरीके से बढ़ा दिए हैं।
🔹 अत्यधिक मांग का फायदा – कई होटल और लॉज बुकिंग के बावजूद ज्यादा पैसे देने वाले को कमरे दे रहे हैं।
🔹 बिना रसीद के ठगी – होटल मालिक मनमाने पैसे वसूल रहे हैं, लेकिन रसीद देने से इनकार कर रहे हैं।
🔹 अस्थायी टेंट भी महंगे – होटल नहीं मिलने पर श्रद्धालु टेंट का सहारा ले रहे हैं, लेकिन यहां भी 500 रुपये का टेंट 5000 रुपये में मिल रहा है।
2. ट्रांसपोर्ट माफिया – बस, टैक्सी, ई-रिक्शा और ऑटो से लूट
कुंभ में श्रद्धालु आसानी से परिवहन की सुविधा ले सकें, इसके लिए सरकार की ओर से व्यवस्था की गई थी। लेकिन निजी परिवहन मालिकों ने इसे भी लूट का जरिया बना लिया है।
🔹 ऑटो और टैक्सी का किराया 5 गुना तक बढ़ा – 50 रुपये की दूरी के लिए 300-400 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
🔹 बसों की मनमानी – लोकल बस ऑपरेटरों ने किराया दोगुना कर दिया है, वहीं कुछ जगहों पर बिना बुकिंग की बसें श्रद्धालुओं को चढ़ाने से मना कर रही हैं।
🔹 रेलवे में दलाल सक्रिय – प्लेटफॉर्म पर टिकट दलाल श्रद्धालुओं को सामान्य टिकट के लिए ज्यादा पैसे देकर तत्काल टिकट बेचने का खेल कर रहे हैं।
3. भोजन और जलपान – आस्था का स्वाद भी महंगा
🔹 100 रुपये की थाली 500 में – कुंभ मेले में साधारण थाली के दाम पांच गुना तक बढ़ चुके हैं।
🔹 नाश्ते की कीमतें दोगुनी – 10 रुपये का समोसा 30 रुपये में, 50 रुपये की चाय 150 रुपये में बिक रही है।
🔹 पीने का पानी भी नहीं बख्शा – 20 रुपये की पानी की बोतल 100 रुपये तक में बेची जा रही है।
4. प्रसाद और पूजन सामग्री – धर्म के नाम पर अंधाधुंध मुनाफा
🔹 प्रसाद के नाम पर लूट – मंदिरों और घाटों पर मिलने वाला प्रसाद दुकानदारों ने 4 गुना महंगा कर दिया है।
🔹 पूजन सामग्री के दाम बढ़े – जहां 50 रुपये में पूजा की सामग्री मिलती थी, अब वही 200 रुपये तक में बेची जा रही है।
🔹 फर्जी बाबा और महंत सक्रिय – कई साधु-महंत पैसे लेकर ‘शुद्ध गंगाजल’, ‘मोक्ष दिलाने वाली पूजा’ जैसी चीजें बेचकर श्रद्धालुओं को गुमराह कर रहे हैं।
-5. सुरक्षा और पार्किंग – धर्म के नाम पर जबरन वसूली
🔹 अवैध पार्किंग माफिया – कुंभ मेले में वाहनों के लिए अधिकृत पार्किंग स्थलों पर जगह नहीं, लेकिन बाहर ‘गैरकानूनी’ पार्किंग संचालित हो रही हैं, जहां 50 रुपये की जगह 500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
🔹 सुरक्षा शुल्क के नाम पर ठगी – कई स्वयंसेवी संस्थाएं ‘सेवा शुल्क’ के नाम पर श्रद्धालुओं से पैसे वसूल रही हैं।
6. टेंट सिटी और धर्मशालाएं – ‘सेवा’ के नाम पर व्यापार
🔹 धार्मिक धर्मशालाएं भी मुनाफे में पीछे नहीं – कई धर्मशालाएं जो पहले 200-300 रुपये में कमरे देती थीं, अब 2000 रुपये तक वसूल रही हैं।
🔹 अस्थायी टेंट में वीआईपी व्यवस्था के नाम पर ठगी सामान्य टेंट श्रद्धालुओं को देने के बजाय महंगे पैकेज बनाकर बेचे जा रहे हैं।
7. भंडारे और लंगर – मुफ्त सेवा में भी चालाकी
🔹 भंडारों में वीआईपी संस्कृति – कुछ जगहों पर साधारण श्रद्धालुओं से पहले VIP लोगों को भोजन कराया जा रहा है।
🔹 लंगर सामग्री की कालाबाजारी – कई जगहों पर भंडारों के लिए आने वाली राशन सामग्री की कालाबाजारी कर दी जा रही है।
प्रशासन की चुप्पी – क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
प्रशासन श्रद्धालुओं को सुविधाएं देने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जगह-जगह पुलिस तैनात है, लेकिन होटल व्यवसायियों, टैक्सी ड्राइवरों और दुकानदारों की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं है।
🔹 होटलों की कीमतों पर नियंत्रण नहीं – प्रशासन होटल दरों को रेगुलेट करने में विफल रहा है।
🔹 अवैध वसूली पर कोई कार्रवाई नहीं – श्रद्धालु लूटे जा रहे हैं, लेकिन शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं हो रही।
धर्म और आस्था के नाम पर कब तक ठगी?
कुंभ मेला, जो आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है, अब मुनाफाखोरी और ठगी का केंद्र बन चुका है। आस्था के नाम पर श्रद्धालुओं से हर स्तर पर लूट की जा रही है।
1. होटल दरों को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक आदेश जारी किए जाएं।
2. परिवहन किराए को सीमित करने के लिए विशेष निगरानी दल तैनात किए जाएं।
3. धार्मिक दुकानों और प्रसाद विक्रेताओं के लिए दर सूची अनिवार्य की जाए।
4. लंगर और भंडारों की निगरानी के लिए स्वतंत्र टीम बनाई जाए।
अगर प्रशासन अभी भी आंखें मूंदे बैठा रहा, तो आने वाले समय में श्रद्धालु धार्मिक पर्यटन से मुंह मोड़ लेंगे, और कुंभ जैसे आध्यात्मिक आयोजनों की पवित्रता पर सवाल उठने लगेंगे।
कुंभ में लूट कब रुकेगी? श्रद्धालुओं की आस्था पर भारी पड़ते लालचियों पर कब लगेगी लगाम?

Tags

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Ad with us

Contact us : admin@000miles.com

Admin

Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

Categories

error: Content is protected !!