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मास डिपोर्टिंग से दो करोड़ वैध-अवैध शरणार्थी तबाह होंगे

अवैध शरणार्थियों पर वज्रपात

मास डिपोर्टिंग से दो करोड़ वैध-अवैध शरणार्थी तबाह होंगे अवैध शरणार्थियों पर वज्रपात




आचार्य श्रीहरि

अवैध शरणार्थियों पर वज्रपात की गूंज पूरी दुनिया में हुई है। बहुत बडा मानवाधिकार संकट खडा हुआ है। लगभग दो करोड़ की आबादी को अमेरिका डिपोर्ट करने वाला है। ये दो करोड की आबादी बेमौत मरने के लिए विवश होगी, क्योंकि ये दो करोड आबादी अमेरिका में अपना सबुकछ छोड़कर अपने पूर्व देश को लौटेगी जहां पर उन्हें भूख और बेकारी सहित अन्य समस्याओं से जूझना पडेगा। मास डिपोर्ट की नीति लागू होते ही राष्ट्रवादियों की बाहें खिल गयी है और वे बले-बले कर रहे हैं जबकि गैर राष्ट्रवादियों की गर्दन झूक गयी है, उनकी जबान पर बुस्सा है और डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ अनाप-शनाप बोल रहे हैं, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अमेरिकी जनता की भी खिंचाई कर रहे हैं, आलोचना का शिकार बना रहे हैं, इस पक्ष का कहना है कि अमेरिका की जनता ने विध्वंसक-संहारक डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति चुनकर दुनिया के लिए नयी समस्याएं उत्पन्न की है। उल्लेखनीय यह है कि शपथग्रहण करने के बाद ही डोनाल्ड ट्रम्प ने अवैघ शरणार्थियों को बाहर निकालने के लिए कडा आदेश जारी किया था और कहा था कि अवैध प्रवासियों को किसी भी स्थिति मे स्वीकार नहीं किया जायेगा, उन्हें अमरिकी जेलों में भी नहीं रखा जायेगा, उन्हें उनके देश को डिपोर्ट कर दिया जायेगा। अमेरिकी प्रशासन ने राष्ट्रपति का आदेश मिलते ही सक्रियता दिखायी और एक हजार से अधिक अवैध शरणार्थियों की पहचान की है और इनमें से अधिकतर को गिरफ्तार कर लिया गया है, उन्हें तत्काल अस्थायी जेलों में रखा है जिन्हें जल्द ही उनके देश भेज दिया जायेगा। डोनाल्ड ट्रम्प का अभियान अवैध शरणार्थी मुक्त अमरिका बनाने का है। अमेरिका को अवैध शरणार्थी मुक्त बनाने की अभियान के खिलाफ मानवाधिकार संगठनों के साथ ही साथ अमेरिका की डेमोक्रेट पार्टी भी है, डेमोक्रेट पार्टी मानवाधिकार के नाम पर अवैध शरणार्थियों का समर्थन करती है और उन पर उदारता का भाव भी रखती है। लेकिन राष्ट्रपति चुनावों में डेमोकेट पार्टी की करारी हार के बाद अवैघ शरणार्थियों का समर्थन अमरिका के अंदर में बहुत ही सीमित हो गया है। ऐेसे भी डोनाल्ड ट्रम्प अपने लक्ष्य और अभियान के प्रति बहुत ही जिद्दी और जुनूनी होते हैं, उन्हें कोई भी आलोचना से न तो डर होता है न ही उनके अभियान में रूकावटें आती हैं।
                  डोनाल्ड ट्रम्प अवैध शरणार्थियों के प्रति इतने गुस्से में क्यों हैं और अवैध शरणार्थियों को निकालने के लिए सभी हदें क्यों पार करना चाहते हैं? क्या सही में अवैध शरणार्थी अमेरिका की आर्थिक अर्थव्यवस्था के लिए संकट हैं, क्या अवैध शरणार्थी सही में अमेिरका के हितों के लिए नकरात्मक हैं, क्या सही में अवैध शरणार्थी अमेरिका की आतंरिक सुरक्षा ही नहीं बल्कि वाह्य सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है? क्या सही में अवैध शरणाथी अपराध, बलात्कार और अन्य अस्वीकार कार्यो मे लिप्त है? सबसे बडी बात यह है कि अवैध शरणार्थी कितने है और उनकी राष्ट्रीयताएं क्या-क्या है? अमेरिका की वर्तमान आबादी लगभग 35 करोड है। आबादी के हिसाब से दुनिया का तीसरा बडा देश है अमेरिका। आबादी के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बडा देश है जबकि चीन का स्थान दूसरा है। 35 करोड की कुल आबादी में एक करोड से ज्यादा अवैध शरणार्थी हैं। कहने का अर्थ यह है कि अमरिका का हर 35 वां आदमी अवैघ शरणार्थी हैं। जिनके पास अमरिका में आने और बसने का कोई वैध काबजात नहीं हैं, वे अमेंरिका के अंदर कैसे प्रवेश किये, इसका भी कोई लेखा’जोखा नहीं हैं। लैटिन अमेरिकी सीमा से अवैध शरणार्थी अमरिका में प्रवेश करते हैं और अमेरिका के लिए काल बन जाते हैं।
                   अवैध शरणार्थियों के कितने अधिकार होते हैं। शरणार्थियों के अधिकार होते हैं। पर अवैध शरणार्थियेां के अधिकार नहीं होते हैं, उनके पास सिर्फ दया होती है, करूणा और सहानुभूति होती है। जिस देश में अवैध शरणार्थी बने हैं, बलपूर्वक घुसपैठ किया है उस देश की इच्छा होगी तो फिर वह देश ऐसे समूह को शरणार्थी की सुविधा उपलब्ध करा सकता है, अपने नागरिक अधिकार उसे दे सकता है। सभ्य और मानवता पंसद देश ऐसा करते भी हैं। खासकर यूरोपीय देश ऐसे शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोलते रहे हैं। अमेरिका भी अपने यहां ऐसे शरणार्थियों को शरण देने का काम किया है। लेकिन अमेरिका का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। अमेरिका के उपर भी आबादी का दबाव बढ रहा है। आबादी के अनुपात में अेमेरिका दुनिया का तीसरा बडा देश है। फिर एक करोड से अधिक अवैध शरणाथियों को संभालना कितना कठिन कार्य है, यह भी उल्लेखनीय है। एक करोड से अधिक अवैध शरणार्थियों की भीड अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बूरी तरह से प्रभावित कर रही है। अमेरिकी नागरिकों के लिए सुविधाएं बहुत सीमित होती जा रही हैं।
              सबसे उल्लेखनीय है भस्मासुर बन जाना। अवैध प्रवासी अमरिका के लिए भस्मासुर बन गये हैं। ये अपराध की दुनिया में सक्रिय रहते हैं। सडकों को लूट और हत्या का घर बना देना इनका कार्य होता है, आवासीय क्षेत्रों को अपराध और गद्रगी का ढेर बना डाला। बलात्कार और छेडछाड जैसी घटनाएं तो आम बात हो गयी है। अभी-अभी एक हजार से अधिक जिन अवैध शरणार्थियों को पकडा गया है वे दुर्दांत अपराधी रहे हैं और उनके कारनामे बहुत ही लामहर्षक हैं। सबसे बडी बात यह है कि डॉक्टर, इजीनियर और वैज्ञानिक सहित सूचना तकनीक के क्षेत्र में अवैध घुसपैइिये बहुत ही कम है। फिर अवैध घुसपैठिये है कौन और उनकी श्रेणियां क्या-क्या है? अधिकतर घुसपैठिये अनपढ हैं, मजदूर है, अप्रशिक्षित है और तस्कर भी होते हैं। ऐसी श्रेणियों के अवैध घुसपैठियों को रोजगार मिलना आसान नहीं होता है, अमेरिका में प्रशिक्षित मजदूरों को रोजगार मिलता है, काम मिलता है, अप्रशिक्षित लोग मशीन को हैंडिल तक नहीं कर पाते हैं। फिर अवैध शरणार्थियों की आजीविका कैसे चलेगी, उन्हें रहने के लिए आवास और पेट भरने के लिए पैसे कहां से अर्जित होगे? फिर इन्ही कारणों से अवैध धुसपैठिये अपराध की दुनिया में कुख्यात हो जाते हैं और अमेरिका की आतंरिक शांति के दुश्मन बन जाते हैं।
          राजनीति भी एक कारण है। जिस प्रकार से बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये भारत में अपनी राजनीतिक शक्ति हासिल कर चुके हैं, भाजपा विरोधी राजनीतिक शक्ति के हथकंडे बन गये हैं उसी प्रकार से अमरिका में भी अवैध शरणार्थी डेमोक्रेट पाटी के वोटर बन जाते हैं और हथकंडा बन जाते हैं। भाजपा की तरह अमेरिका में रिपल्किन पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी मानी जाती है और उसकी समझ यह है कि अवैध शरणार्थी अमेरिका की राष्ट्रीय अस्मिता की कब्र खोदते हैं और अपनी संहारक व घृणित संस्कृति हम पर लादना चाहते हैं। चूंकि अधिकतर अवैध शरणार्थी मुस्लिम हैं, इसलिए मुस्लिम आतंक की भी समस्या है। मुस्लिम जहां भी होते हैं वहां की मूल संस्कृति का दोहण और संहार करते हैं। मजहबी शासन की माग करना उनका लक्ष्य होता है। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर मुस्लिम आतंकी हमला भी कुचर्चित रहा है और अमेरिकी अस्मिता पर हमला के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि राष्ट्रवादियों और खासकर मुस्लिम अवैध शरणार्थियों के बीच मे तनातनी होती है। डोनाल्ड ट्रम्प ने मुस्लिम देशों से आने वाले नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। कहने का अर्थ यह है कि डोनाल्ड ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी मुस्लिम शरणार्थियों को लेकर आगबबूला थे और इस काल में भी मुस्लिम अवैध घुसपैठियों के साथ ही साथ संपूर्ण शरणार्थी प्रश्न पर कठिन नीति अपनायेंगे।
                   अवैध शरणार्थियो को रोकने के लिए कठिन कार्य भी शुरू हो चुका है। खासकर अपनी सीमा को सुरक्षित बनाने की नीति महत्वपूर्ण हुई है। अमेरिका में अवैध घुसपैठ का सर्वाधिक रास्ता मैक्सिकों की सीमा से बनता है। मैक्सिकों की सीमा पर तार की बांउड्री खडी होनी शुरू हो गयी है, वेनेजुएला की सीमा पर भी सख्ती जारी है। वेनेजुएला में कभी कम्युनिस्ट तानाशाही थी। कम्युनिस्ट तानाशाही ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था का विध्वंस कर दिया। वेनेजुएला दिवालिया हो गया। यहां की आबादी भूख और बेकारी से तबाह हो गयी। वेनेजुएला की एक बडी आबादी अपने पडोसी देशो में घुसपैठ कर गयी। वेनेजुएला के रास्ते अमेरिका में बडे पैमाने पर घुसपैठ होता है। अमरिका ने अपनी मैक्सिकों और वेनेजुएला सहित अन्य सीमाओं पर तार की दीवार खडी करने और पक्की दीवारे भी खडी कर रहा है।
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आचार्य श्रीहरि
मोबाइल   9315206123

नई दिल्ली

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