
भारत और अन्य देशों में शिक्षा और सम्मान के नाम पर फर्जी डिग्री और नकली पुरस्कारों का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों और एनजीओ द्वारा फर्जी डॉक्टरेट डिग्री, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, और ऑनरेरी उपाधियां मोटी रकम के बदले बेची जा रही हैं। यह घोटाला न केवल शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रहा है, बल्कि उन मेहनती छात्रों और पेशेवरों के अधिकारों पर भी कुठाराघात कर रहा है, जो वास्तविक मेहनत से अपनी डिग्री और पहचान अर्जित करते हैं।
स्प्राउट्स एसआईटी की गहरी जांच में इस धोखाधड़ी से जुड़ी कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं, जिनमें शामिल हैं फर्जी संस्थानों की सूची, नकली डिग्री बेचने वाले लोग, और सम्मान देने के नाम पर एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे फर्जीवाड़े।
फर्जी डिग्री बेचने वाले व्यक्तियों की सूची
जांच के दौरान कई ऐसे व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं, जो नकली पीएचडी और अन्य डिग्रियां बेचने में शामिल हैं। ये लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन माध्यम से डिग्री बेचते हैं।
अनिल नायर थम्पी, दिनेश किशोर गुप्ता, विवेक चौधरी जैसे नाम इस धोखाधड़ी में प्रमुख रूप से शामिल हैं।
इनके माध्यम से कई लोगों को नकली प्रमाण पत्र दिए गए, जो नौकरी और प्रतिष्ठा के लिए उपयोग किए गए।
फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची
कुछ संस्थान कागजों पर विश्वविद्यालय होने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत में ये केवल फर्जी डिग्री प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इनमें शामिल हैं
1. गांधी पीस फाउंडेशन, नेपाल
शांति के नाम पर फर्जी डॉक्टरेट बेचने का आरोप।
2. शिकागो ओपन यूनिवर्सिटी
इसने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के नाम का गलत इस्तेमाल किया।
3. लंदन ग्लोबल पीस यूनिवर्सिटी
लंदन के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाला यह संस्थान किसी मान्यता प्राप्त संगठन से संबद्ध नहीं है।
फर्जी पुरस्कार और ऑनरेरी डिग्री देने वाले एनजीओ
फर्जी पुरस्कारों और ऑनरेरी डिग्री देने वाले एनजीओ की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। ये संस्थान सम्मान के नाम पर मोटी रकम लेते हैं और नकली प्रमाण पत्र जारी करते हैं।
दादासाहेब फाल्के आइकन अवॉर्ड्स फिल्म ऑर्गनाइजेशन
वर्ल्ड ह्यूमन प्रोटेक्शन कमिशन
ग्लोबल एक्सीलेंस फाउंडेशन
धोखाधड़ी का modus operandi (कार्य प्रणाली)
ऑनलाइन प्रचार ये संस्थान सोशल मीडिया और वेबसाइट्स के माध्यम से फर्जी डिग्री और पुरस्कार बेचते है गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान ऐसे विश्वविद्यालयों के नाम बड़े और प्रतिष्ठित लगते हैं, लेकिन ये किसी शैक्षणिक अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त नहीं होते।
अंतरराष्ट्रीय संचालन इनमें से कई संस्थान नेपाल, मलेशिया, थाईलैंड और अमेरिका जैसे देशों से संचालित होते हैं।समाज और शिक्षा पर प्रभाव
शैक्षणिक प्रणाली पर चोट यह घोटाला शिक्षा व्यवस्था की साख को कमजोर कर रहा है।योग्य छात्रों पर असर फर्जी डिग्रीधारी व्यक्तियों के कारण वास्तविक योग्य लोगों को अवसरों से वंचित होना पड़ता है।
नैतिकता का ह्रास यह प्रवृत्ति समाज में गलत आदर्श प्रस्तुत करती है, जिससे युवाओं में ईमानदारी की भावना कमजोर होती है।
धोखाधड़ी से बचने के सुझाव
जांच-पड़ताल करें किसी भी डिग्री या पुरस्कार को स्वीकार करने से पहले संस्था की मान्यता की जांच करें।
सरकारी पोर्टल्स का उपयोग करें: शैक्षणिक संस्थानों की प्रामाणिकता को जांचने के लिए सरकारी पोर्टल्स और शैक्षणिक अथॉरिटी से संपर्क करें।सोशल मीडिया पर सतर्क रहें फर्जी प्रचार और नकली वेबसाइट्स के जाल में न फंसें। स्प्राउट्स एसआईटी का योगदान
स्प्राउट्स एसआईटी ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की है और इस घोटाले से संबंधित जानकारी अमेरिकी दूतावास और अन्य प्राधिकरणों को सौंपने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि वे जागरूक बनें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी पुलिस या साइबर सेल को दें।
फर्जी डिग्री और पुरस्कार घोटाले ने शिक्षा और सम्मान की मूल भावना को गहरी चोट पहुंचाई है। यह घोटाला न केवल आर्थिक रूप से बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद खतरनाक है। समाज के हर वर्ग को इस मुद्दे के प्रति सतर्क रहना होगा और इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
“सत्य और ईमानदारी ही शिक्षा का असली उद्देश्य है ।



Leave a Reply