
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट प्रस्तुत करेंगी, जो उनका लगातार आठवां बजट होगा।
प्रमुख अपेक्षाएं
आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में 10.3% से 10.5% की नाममात्र आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगा रही है, जो वर्तमान वर्ष के 9.7% के अनुमान से अधिक है। यह वृद्धि सरकारी पूंजीगत व्यय, कृषि, और निर्यात में वृद्धि से प्रेरित होगी।
वित्तीय घाटा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.7% से 4.8% रहने की संभावना है, जो सरकार के 4.9% के अनुमान से कम है। यह कमी पूंजीगत निवेश में कमी और भारतीय रिजर्व बैंक से उच्च लाभांश के कारण है।
विनिवेश लक्ष्य में कटौती सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विनिवेश और संपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य को 40% तक कम करके 500 अरब रुपये से घटाकर 300 अरब रुपये कर सकती है। यह निर्णय राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों की बिक्री में चुनौतियों के कारण लिया जा रहा है।
संभावित लाभ
आर्थिक प्रोत्साहन सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि से बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
कर राहत: वेतनभोगी वर्ग की मांग को बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर में कटौती की संभावना है, जिससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी।
संभावित चुनौतियां
विनिवेश में कमी विनिवेश लक्ष्य में कटौती से सरकारी राजस्व पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वित्तीय संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा।
राजकोषीय अनुशासन: वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखना आवश्यक है, विशेषकर जब पूंजीगत व्यय में वृद्धि की योजना है।
कुल मिलाकर, आगामी बजट में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने, रोजगार सृजन, और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हालांकि, विनिवेश लक्ष्यों में कमी और वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखना प्रमुख चुनौतियां होंगी।
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