
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक यूट्यूब पॉडकास्ट में लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ये समाज के पारंपरिक ढांचे के खिलाफ हैं और इससे सामाजिक संरचना का पतन हो सकता है। गडकरी ने यूरोपीय देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां लोग विवाह के बजाय लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने चिंता जताई कि यदि लोग विवाह नहीं करेंगे, तो बच्चों का भविष्य और समाज की संरचना प्रभावित होगी।
गडकरी ने लिंगानुपात के असंतुलन पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि 1,500 महिलाएं और 1,000 पुरुष होंगे, तो पुरुषों को दो पत्नियां रखने की अनुमति देनी पड़ सकती है। यह बयान उन्होंने समाज में संतुलित लिंगानुपात बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए दिया।
भारत में लिंगानुपात के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति 1,000 पुरुषों पर 943 महिलाएं थीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार, यह संख्या बढ़कर 1,020 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष हो गई है, जो लैंगिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
भविष्य के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2036 तक लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 1052 महिलाओं तक पहुंच सकता है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि लिंगानुपात में सुधार के बावजूद, समाज में लैंगिक समानता और संतुलन बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
नितिन गडकरी के इस बयान ने समाज में लिव-इन रिलेशनशिप, समलैंगिक विवाह और लिंगानुपात जैसे मुद्दों पर एक नई बहस छेड़ दी है। इन विषयों पर विभिन्न दृष्टिकोण और विचारधाराएं सामने आ रही हैं, जो समाज के विकास और परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।





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