
आवारा कलम से
(परिवर्तन)
स! थूथर चलाने– सब कछू ई मोबाइल में लिख जानें, बस! किल्क कर दो संपादक के चेला-चपाटी सब ठीक-ठाक कर-खें छाप दें हें।
ऊसे का हुईये काकी? लो–कल्लो बात-? अरे तुम लोकतंत्र की हिस्सा बन जैहो जिज्जी, चौथो खम्भा, फिर तुमें कोऊ ना हिला पाहे। मजबूत रैहो बंगवार सीमेंट के विज्ञापन की तरह चमक जै हो।
काकी हमने सुनीं हती कै संविधान में तीन पिलर ही बताये गये, चौथो पिलर तो नईं लिखो। सो-? सो का हो गओ? जो कछू अबै हो रओ वो सब भी संविधान में कहां लिखो–? पर हो रओ, हो रओ कै नईं हो रओ–?
विदेश मंत्री इतै-उतै घूम रये और कई राज्यन के मुख्यमंत्री बिदेश जा-जा खें ब्यापारी, उद्योगपति पकड़ खें ला रये भला जा बात संविधान में कहां लिखी–?
हर राज्य को मुख्यमंत्री टेर लगा रओ— आइये, हमारे राज्य में आइये। हम सस्ती जमीन देंगे, सस्ती बिजली देंगे, सस्ते में कच्चामाल देंगे, सस्ती लेबर देंगे, बिना घूंस के जल्दी काम करेंगे
आइये, अपना कारखाना लगाइये।
दूसरे मुख्यमंत्री आवाज लगा रये–सुनो सुनो और सिर्फ हमारी ही सुनो, झुठ्ठों से बचें, झांसे में ना फंसें, हमारी स्टेट ही तो अपराध मुक्त है आज काम शुरु करो, फिर कल सब्सिडी लो-हमारी सेवा आपको देगी मेवा।
अब बताओ जिज्जी जो कहां लिखो संविधान में, कै “घर के लरिका गोही चांटें, मामा खायें अमावट पर काम तो हो रओ–। तुम पत्रकार बन जाओ जिज्जी, मजा आ जै-हे
नईं काकी, बहोतईं तो भद्द पिटत, कल पेपर में पढ़ो हतो कि कहूं पे दो पत्रकार जिला बदर करे गये, दस और होने है। ई लाइन में हम कौन लग सकत काकी !
जिज्जी, पूरी न्यूज कौन पढ़ी तुमने, पुलिस ने उनको पिछले रिकार्ड जब खंगालो तब पता चली कि वे अपराधी तो हते, सो! अपराधी को जिला बदर करो गओ। पत्रकार को थोड़ी करो काकी, अच्छा जो बताओ कि इतने दिनन बाद ही पुलिस खें, याद काये आई? अबै तक नींद में काये हती?
अरे! कैसी बातें कर रईं जिज्जी राज्य भरे को एक बड़ो कार्यक्रम चल रओ तो और महामहिम राज्यपाल जब जन सम्बोधन दै रये ते तब कछू भड़या पत्रकार की गैलरी से पंपलेट दिखा-दिखा के मुर्दाबाद के नारे लगारये ते। जो सब लाइव टेलीकास्ट के कारण पूरे काम पे पानी फिरन लगो बीडीओ में तो ऐसो करत सब आ गओ, बस! अब ओई की साफ–सफाई शुरु है।
बात सही बताई, काकी पर मोरो मन बिल्कुल ऩईंया, सरकार काये नईं कानून बना देत कि जिन अखबार के या चैनल के रिपोर्टर अपराधी होंगे उनके खिलाफ कार्यवाही होगी?
ऐसो नईं हो सकत ना जिज्जी। स्वतंत्रता और शांति को कबूतर मर जैहे पर परिवर्तन हो रओ, धीरे-धीरे सब सुधर जानें। वैसे कालिदास को भी रिकार्ड अब पुलिस में ना मिलहे मगर अपने शास्त्र बताउत कि वे हिस्ट्री शीटर हते और जब सुधरे सो ऐसे सुधरे कि उनकी रचना पढ़खें मूरख तक पंडित बन गये।
बस! सब जगह ऐसई राम कहानी है खोजो तो हर जगह अपराधी घुसे और ना खोजो सो मन करो चंगा-कठौती में गंगा।



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