केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) के विचार को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार इसे लागू करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। माना जा रहा है कि इस अवधारणा से देश की चुनाव प्रक्रिया में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देश में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे बार-बार चुनाव कराने की जरूरत पड़ती है।
इस व्यवस्था के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों का कार्यकाल एक ही समय पर समाप्त होगा और चुनाव एक साथ होंगे।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इस विषय पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है।संसदीय समिति को भेजा जा सकता है बिल
सरकार चाहती है कि इस बिल पर सभी दलों के साथ आम सहमति बनाई जाए। इसे संसद की संयुक्त समिति के पास चर्चा और संशोधन के लिए भेजा जा सकता है।
कानूनी और संवैधानिक चुनौतियां
बिल को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी। इससे जुड़े अनुच्छेद 83, 172, 85, और 174 में बदलाव करना होगा
सरकार का मानना है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से कई फायदे होंगे:चुनावी खर्च में कमी
बार-बार चुनाव कराने में भारी खर्च होता है। एक साथ चुनाव से सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा।
सरकारी मशीनरी का सही इस्तेमाल
चुनाव प्रक्रिया में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों और अधिकारियों की तैनाती होती है। इससे प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते हैं।
बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव से यह समस्या खत्म होगी।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं:
संविधान के संघीय ढांचे पर प्रभाव
कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि इससे राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
छोटे दलों को नुकसान
एक साथ चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों का दबदबा रहेगा, जिससे क्षेत्रीय दलों की भूमिका कमजोर हो सकती है।
देश भर में चुनाव एक साथ कराना बड़ी प्रशासनिक चुनौती होगी
संविधान संशोधन की जरूरत
संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत चाहिए।
कार्यकाल में कटौती या विस्तार
वर्तमान सरकारों का कार्यकाल घटाना या बढ़ाना विवाद का कारण बन सकता है।
सभी स्तरों के चुनाव एक साथ होने पर मतदाताओं को सही विकल्प चुनने में कठिनाई हो सकती है
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से चुनाव प्रणाली अधिक प्रभावी और पारदर्शी हो सकती है।
यह व्यवस्था भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को स्थिरता और मजबूती दे सकती है।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ एक दूरदर्शी पहल है, लेकिन इसे लागू करने में कई संवैधानिक, प्रशासनिक और राजनीतिक बाधाएं हैं। अगर सरकार इस विषय पर आम सहमति बनाने में सफल होती है, तो यह भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
आगामी शीतकालीन सत्र में इस पर बिल पेश होने और चर्चा के बाद स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।
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