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महाकाल मंदिर में 306 कर्मचारियों और पुजारियों की नियुक्ति पर सवाल हाई कोर्ट ने मांगा 8 हफ्ते में जवाब

महाकाल मंदिर में 306 कर्मचारियों और पुजारियों की नियुक्ति पर सवाल हाई कोर्ट ने मांगा 8 हफ्ते में जवाब


उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में पुरोहित और कर्मचारियों की नियुक्तियों को लेकर उठे विवाद ने न्यायालय का रुख कर लिया है। याचिकाकर्ता सारिका गुरु ने नियुक्तियों में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
सारिका गुरु ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत 2022 में महाकाल मंदिर परिसर के 40 मंदिरों के पुजारियों और 300 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्तियों की जानकारी मांगी थी। उन्होंने विज्ञप्ति, नियुक्ति प्रक्रिया, और योग्यता प्रमाणपत्र की मांग की थी। लेकिन मंदिर समिति ने गोपनीयता का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 2023 में राज्य सूचना आयोग में अपील की, पर 30 अक्टूबर 2023 को आए जवाब में भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। अंततः उन्होंने 12 नवंबर 2024 को इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट का निर्देश
3 दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक, सहायक प्रशासक, और राज्य सूचना आयुक्त को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
अनियमितताओं के आरोप शिकायतकर्ता जयराज चौबे ने महाकाल मंदिर परिसर में स्थित 19 मंदिरों के लिए एक ही पुजारी की नियुक्ति को अवैध बताया।
आरोप है कि मंदिर समिति ने बिना विज्ञप्ति और दस्तावेज सत्यापन के अपने करीबी लोगों को नियुक्त किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि महाकाल मंदिर अधिनियम 1982 का दायरा गर्भगृह तक सीमित है, बाकी मंदिर शासकीय हैं।
मंदिर समिति और लीगल टीम का पक्ष
महाकाल प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि यह मामला पूर्व प्रशासक के कार्यकाल का है, और अभी तक नोटिस की कॉपी नहीं मिली है। इसे समिति की लीगल टीम देखेगी। हाई कोर्ट एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा ने भी कहा कि नोटिस मिलने के बाद दस्तावेज और पिटीशन देखकर विधि अनुसार जवाब दिया जाएगा।
क्या महाकाल मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी है?
क्या एक ही पुजारी द्वारा 19 मंदिरों का कार्यभार संभालना व्यावहारिक है?
सूचना का अधिकार अधिनियम का पालन क्यों नहीं हुआ
मंदिर समिति, प्रशासक, और राज्य सूचना आयुक्त को 8 हफ्ते में जवाब देना होगा। यह मामला महाकाल मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और न्याय की प्रक्रिया को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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