मऊगंज रीवा चिंगर टोला प्राथमिक स्कूल का यह सोमवार, बाकी दिनों से अलग था। सुबह-सुबह स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप में संदेश आया
दुखद सूचना हमारे स्कूल के कक्षा तीन के छात्र का आकस्मिक निधन हो गया है। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आज स्कूल बंद रहेगा।
यह संदेश पढ़ते ही स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों ने “शोक की घड़ी” को महसूस करते हुए राहत की सांस ली। आखिरकार, अचानक मिली छुट्टी किसी त्यौहार से कम थोड़ी होती है!
दूसरी ओर, शिक्षक हीरालाल पटेल साहब अपने घर पर आराम फरमाते हुए सोच रहे थे, “कौन कहता है कि छुट्टी के लिए अर्ज़ी लिखनी पड़ती है? थोड़ी क्रिएटिविटी लगाओ और देखो, पूरा स्कूल बंद!”
शिक्षक हीरालाल के लिए यह योजना परफेक्ट थी। उन्होंने स्कूल रजिस्टर में लिख दिया कि तीसरी कक्षा के छात्र का निधन हो गया है। रजिस्टर बंद, और छुट्टी पक्की! लेकिन, जैसा कि फिल्मों में होता है, कहानी में ट्विस्ट तो आना ही था।
दूसरे शिक्षक ने जब इस “शोक समाचार” के बारे में सुना, तो उनकी जिज्ञासा जाग गई। उन्होंने तुरंत छात्र के पिता को फोन मिलाया।
“भाई साहब, यह क्या हुआ? बेटा बीमार था, तो बताया क्यों नहीं?”
पिता जी की हालत खराब हो गई। उन्होंने तुरंत अपने बेटे को आवाज लगाई, जो मस्त खेल-कूद में व्यस्त था।
“अरे, यह तो बिल्कुल ठीक है!”
अब पिता जी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने सीधे कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत सुनते ही कलेक्टर साहब ने माथा पकड़ लिया, “यह तो शिक्षा विभाग की नई ऊंचाई है!”
हीरालाल पटेल की समस्या का समाधान
जब कलेक्टर साहब को पता चला कि यह सब छुट्टी के लिए किया गया है, तो उन्होंने तुरंत निलंबन का आदेश जारी कर दिया। लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती।
हीरालाल पटेल अब सोच रहे थे, “छुट्टी का यह तरीका शायद थोड़ा ज्यादा क्रिएटिव हो गया। अगली बार बस पेट दर्द का बहाना बनाना बेहतर रहेगा।”शिक्षक के छुट्टी पाठशाला’
आज के दौर में शिक्षक का दर्जा “गुरु” से “गुड-फॉर-नथिंग” तक खिसकता नजर आ रहा है। जो शिक्षक बच्चों को ईमानदारी और मेहनत का पाठ पढ़ाने वाले हैं, वे खुद छुट्टी लेने के लिए “मृत्यु” जैसी संवेदनशील चीज का मजाक बना रहे हैं।
रजिस्टर का महत्व व्हाट्सएप का कमाल
पहले रजिस्टर में छात्रों की उपस्थिति और प्रगति दर्ज होती थी। अब यह “छुट्टी के बहाने” दर्ज करने का नया साधन बन गया है।
व्हाट्सएप ग्रुप शिक्षकों के लिए सूचना साझा करने का माध्यम होना चाहिए, लेकिन यहां यह “झूठ साझा करने” का जरिया बन गया।
शिक्षा विभाग का हाल
लगता है शिक्षा विभाग में “क्रिएटिव छुट्टी प्रतियोगिता” चल रही है। अगली बार शिक्षक शायद “एलियन्स ने स्कूल पर हमला किया” जैसे कारण भी दर्ज कर दें!
सोचिए, जब छात्र को पता चलेगा कि उसकी “मौत” का उपयोग छुट्टी के लिए हुआ, तो वह बड़ा होकर क्या सीखेगा? शायद वह कहेगा, “सर, मेरा होमवर्क नहीं हुआ क्योंकि… मैं मर चुका था!”
शिक्षा प्रणाली को गंभीर आत्ममंथन की जरूरत है। यह घटना बताती है कि शिक्षा विभाग को सिर्फ पाठ्यक्रम सुधारने की नहीं, बल्कि शिक्षकों की सोच सुधारने की भी जरूरत है।
हीरालाल पटेल जैसे शिक्षकों को एक नई पाठशाला भेजना चाहिए, जहां उन्हें पढ़ाया जाए
“झूठ बोलना और बच्चों की मृत्यु का बहाना बनाना, शिक्षण के आदर्शों के खिलाफ है।”
या फिर, ऐसे शिक्षकों के लिए नौकरी के रजिस्टर में भी एक नोट लिख देना चाहिए:
“यह शिक्षक शिक्षा विभाग के लिए अनुपयुक्त है।”
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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