


जिला सीधी जनपद पंचायत सीधी खड्डी खुर्द गांव की लीला भाभी का नाम आजकल हर गली-मोहल्ले में गूंज रहा है। पहले गांव की सड़क के लिए आवाज उठाई और अब वादाखिलाफी पर बीजेपी सांसद को अपने अंदाज में पाठ पढ़ा दिया। यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं, लेकिन इसके किरदार असली हैं और समस्या भी।
4 जुलाई 2024 को लीला भाभी ने एक वीडियो बनाकर अपने गांव की टूटी-फूटी सड़क को लेकर गुहार लगाई थी। “देखिए, ये सड़क नहीं, गांव वालों की परीक्षा है। बारिश में ये कीचड़ और सूखे में धूल, यहां से गुजरने पर हर बार लगता है, जैसे हम ट्रैक्टर की सवारी कर रहे हों।”
वीडियो वायरल हुआ तो खड्डी खुर्द का मामला दिल्ली तक पहुंच गया। नरेंद्र मोदी से लेकर स्थानीय चैनलों तक, हर जगह सिर्फ लीला भाभी और उनकी सड़क की चर्चा थी।
बीजेपी सीधी सांसद का वादा नवंबर में चमकेगी सड़क
गांववालों की उम्मीदें तब जागीं, जब स्थानीय बीजेपी सांसद ने घोषणा की, “नवंबर में सड़क बनकर तैयार होगी। आप सबके जीवन में नई सुबह आएगी।” नवंबर बीत गया, सुबह तो क्या शाम भी नहीं आई।
लीला भाभी का दूसरा वार सांसद जी, सड़क कहां है?”
वादाखिलाफी से नाराज लीला भाभी ने एक और वीडियो बनाया। इस बार उनका अंदाज और भी धारदार था। उन्होंने सांसद जी को संबोधित करते हुए कहा:
“सांसद जी, वादा करना बड़ा आसान है, लेकिन निभाना आपके बस की बात नहीं लगती। आपने कहा था सड़क बनवा देंगे। अब सड़क कहां है? या आप हमारे धैर्य की और परीक्षा लेना चाहते हैं?
इस वीडियो ने फिर सनसनी फैलाई। गांव वालों ने ताली बजाई, और सांसद जी की मुश्किलें बढ़ गईं वादे की सड़क पर गड्ढे
इस घटना में सबसे मजेदार बात यह है कि राजनीति में वादे अक्सर उसी सड़क की तरह होते हैं, जो अधूरी और टूटी-फूटी होती है। सांसद जी ने नवंबर में सड़क का वादा किया, लेकिन शायद वह ये भूल गए कि लीला भाभी कोई ‘चुनावी भूल’ नहीं हैं।
सड़क की कहानी और राजनीति का पाठ
सड़कें सिर्फ चलने का साधन नहीं, बल्कि राजनीतिक करियर के रास्ते भी होती हैं। मगर खड्डी खुर्द की सड़क सांसद जी के करियर पर बड़ा गड्ढा बन गई है।
लीला भाभी ग्रामीण संघर्ष की आवाज
लीला भाभी आज के दौर की ‘ग्रामीण इंटरनेट क्रांति’ की मिसाल हैं। जब बात नहीं सुनी गई, तो सोशल मीडिया का सहारा लिया। सांसद जी को याद रखना चाहिए कि अब “भाभी” की बात सीधी दिल्ली तक जाती है।वादे और गड्ढे का रिश्ता
राजनीति में वादे अक्सर उन्हीं सड़कों की तरह होते हैं, जिनकी मरम्मत कभी नहीं होती। गड्ढे बढ़ते रहते हैं और नेताओं के बहाने भी।
जनता का धैर्य और नेताओं की कुर्सी
जनता सब देखती है। इस बार खड्डी खुर्द वालों ने दिखा दिया कि वादा निभाने में देरी हो, तो जनता सांसद के “कुर्सी मार्ग” को भी गड्ढों से भर सकती है
सड़क के साथ इज्जत भी बनाएं
लीला भाभी ने साबित कर दिया कि ग्रामीण भारत की आवाज अब दबने वाली नहीं है। खड्डी खुर्द की सड़क बने या ना बने, लेकिन यह तय है कि अगली बार सांसद जी वादा करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
अगर सांसद जी को वाकई अपनी इज्जत बचानी है, तो उन्हें फौरन खड्डी खुर्द की सड़क पर काम शुरू करना होगा। नहीं तो अगला वीडियो सिर्फ उनकी ‘सांसदी सड़क’ में गड्ढे ही गड्ढे होगे ।





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