घर के चिराग बुझ गए जंगल में बिछाए करंट का शिकार बने दो मासूम भाई

घर के चिराग बुझ गए जंगल में बिछाए करंट का शिकार बने दो मासूम भाई

जंगल में शिकार के लिए बिछाए गए करंट से दो सगे भाइयों की दुखद मौत की यह घटना मानव और प्रकृति के संबंधों, सुरक्षा चूक, और वन्यजीव संरक्षण के गंभीर सवाल खड़े करती है। इस तरह की घटनाओं का बढ़ता ग्राफ प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा करता है। वर्तमान में जंगली जानवरों को रोकने के लिए करंट फैलाना शिकारियों द्वारा अपनाई जाने वाली आम रणनीति बन चुकी है, लेकिन इसका खामियाजा कई बार निर्दोष ग्रामीणों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ता है। इस घटना के जरिए जंगल के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा, वन्यजीव संरक्षण के नियमों का सख्ती से पालन और वन विभाग की जिम्मेदारी को समझना जरूरी है।



शहडोल जिले के ब्यौहारी तहसील के खड्डा गांव में लोढ़ाधार नाले के पास यह हादसा शुक्रवार देर शाम हुआ। बड़े भाई कैलाश की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि छोटे भाई छोटू ने अस्पताल में शनिवार की सुबह दम तोड़ा। पुलिस ने मौके से करंट फैलाने में इस्तेमाल तार को जब्त कर लिया है और जांच में जुटी है कि यह तार किसने लगाया था।

दोनों भाई अपने खेत से जंगल के रास्ते घर लौट रहे थे, उसी दौरान यह दुर्घटना हुई। पुलिस की जांच से पता चला कि जीआई तार में जानवरों को मारने के इरादे से करंट छोड़ा गया था। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह एक गैरकानूनी और घातक तरीका है, जिसे अक्सर शिकारी इस्तेमाल करते हैं।



इस तरह की घटनाएं ग्रामीणों पर गहरा मानसिक और सामाजिक प्रभाव डालती

हैं। दो भाइयों की मौत से न सिर्फ उनके परिवार को गहरा सदमा लगा है, बल्कि पूरे गांव में शोक का माहौल है। अक्सर ऐसी घटनाएं गांव में असुरक्षा और भय का वातावरण बना देती हैं।

परिवार के सदस्य और समाज के लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि कब और कैसे उनकी जान को खतरा बन सकता है, और यह चिंता हर रोज के कार्यों में बाधा डालती है। सरकार और प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीण लोग अपने ही परिवेश में असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।

वन विभाग की जिम्मेदारी और लापरवाही

जिले की सीमा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और संजय गांधी टाइगर रिजर्व से लगी होने के कारण यहां अक्सर जंगली जानवरों का आना-जाना रहता है। वन विभाग का काम है कि वह क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करे, ताकि न तो वन्यजीवों को और न ही ग्रामीणों को किसी प्रकार की हानि हो। वन्यजीवों के लिए करंट फैलाने जैसी गतिविधियों को वन विभाग को रोकने की जिम्मेदारी है।

हालांकि, पुलिस द्वारा इस प्रकार की घटनाओं पर मर्ग कायम कर जांच की प्रक्रिया तो शुरू कर दी जाती है, परंतु यह केवल सांत्वना देने जैसा लगता है। जरूरी है कि वन विभाग और पुलिस मिलकर एक कार्य योजना बनाएं और ऐसे अपराधों को सख्ती से रोकें।

वन्यजीवों के संरक्षण और ग्रामीणों की सुरक्षा में संतुलन की आवश्यकता


इस प्रकार की घटनाओं का बढ़ता ग्राफ बताता है कि वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा में संतुलन बिठाने की आवश्यकता है। जहां एक ओर वन्यजीवों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की सुरक्षा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अक्सर अपनी जीविका के लिए जंगलों पर निर्भर रहते हैं, और ऐसे में उनके जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए समुचित कदम उठाए जाने चाहिए।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया और उपाय

सीसीएफ अजय कुमार पांडेय ने घटना के बारे में जानकारी न होने की बात कही, लेकिन इसके बाद वे घटनाओं की समीक्षा करने और ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कर रहे हैं। यह बयान सिर्फ आश्वासन की तरह लगता है, और अब जरूरी है कि ऐसे उपाय किए जाएं, जिनसे भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

ग्रामीण इलाकों में ऐसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बोर्ड लगाए जाने चाहिए और चेतावनी दी जानी चाहिए। ग्रामीणों को भी यह बताया जाना चाहिए कि जंगल के कौन से हिस्सों में करंट फैलाए जाने की संभावना होती है।
वन्यजीवों के शिकार के लिए करंट फैलाने जैसे कृत्यों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।


स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। ग्रामीणों को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि इस तरह के करंट के खतरे से कैसे बचा जा सकता है और अपने आसपास की गतिविधियों पर कैसे नजर रखी जाए।


वन विभाग को स्थानीय ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझना चाहिए। कई बार ग्रामीण इस प्रकार के कृत्यों में अपनी संलिप्तता से बचने के लिए वन विभाग को जानकारी नहीं देते। संवाद से विश्वास बढ़ेगा और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।


शिकार के उद्देश्य से करंट फैलाने वाले शिकारियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए पुलिस को गश्त बढ़ानी चाहिए।




शहडोल की यह दुखद घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। जंगली जानवरों के शिकार के लिए बिछाए गए करंट से निर्दोष लोगों की जान जाना प्रशासन, वन विभाग और स्थानीय समुदाय के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।

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