बांधवगढ़ में दस हाथियों की मौत ने पूरे प्रदेश में चिंता की लहर फैला दी है, और इस घटना पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ध्यान भी खींचा है। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए फॉरेस्ट अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जाँच में बरती गई किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके चलते पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ और फील्ड डायरेक्टर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है।
घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि हाथियों की मौत की वजह कोदो की फसल का सेवन था। हालांकि, यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोदो फसल और हाथियों की प्राकृतिक संरचना को लेकर अब तक किसी ठोस वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी है जो यह साबित कर सके कि इस फसल के सेवन से इतनी बड़ी संख्या में हाथियों की मृत्यु हो सकती है।
फॉरेस्ट विभाग ने इस संबंध में गहराई से छानबीन शुरू की है, और कुछ सूत्र बताते हैं कि विभागीय लापरवाही या उचित मॉनिटरिंग की कमी भी इस घटना के पीछे हो सकती है ।बांधवगढ़ में हाल ही में 10 हाथियों की संदिग्ध मृत्यु ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस गंभीर मामले की तह तक जाने का संकल्प लिया है। उन्होंने वन विभाग के अफसरों की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किया है, जो अब बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट में पहुंच चुका है। इस जांच दल में वनराज्य मंत्री दिलीप अहिरवार भी शामिल हैं, जो इस मुद्दे को गंभीरता से देख रहे हैं और मामले में जरूरी कार्रवाई के संकेत दे रहे हैं।
जांच दल ने बांधवगढ़ पहुंचकर हाथियों की मौत के सभी पहलुओं की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि इन हाथियों की मौत का कारण कोदो की फसल का सेवन था। हालांकि, यह बात वन्यजीव विशेषज्ञों और स्थानीय वन अधिकारियों के गले नहीं उतर रही है, क्योंकि कोदो फसल से इतने बड़े स्तर पर विषाक्तता का मामला असामान्य प्रतीत होता है। यह जाँच दल स्थानीय निवासियों, वन अधिकारियों, और जानवरों के चिकित्सकीय इतिहास की भी गहनता से जांच कर रहा है।
वनराज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच दल किसी भी संभावित लापरवाही की कड़ी से कड़ी जांच करेगा। इसके अलावा, यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस इलाके में वन्यजीव संरक्षण से जुड़े प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है, और इस कारण इन हाथियों की जान पर बन आई है।
जांच के दौरान यह भी देखा जा रहा है कि क्षेत्र में जंगलों के संरक्षण के लिए बनी सुरक्षा व्यवस्थाएं पर्याप्त हैं या नहीं। प्राथमिक स्तर पर यह संकेत मिल रहे हैं कि हाथियों के जीवन पर खतरा कोई प्राकृतिक घटना मात्र नहीं थी, बल्कि इसमें मानव हस्तक्षेप की संभावना भी हो सकती है।
इस पूरी घटना ने प्रदेश के वन्य जीवों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी स्तर के अधिकारी क्यों न हों।
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