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चार वर्ष बाद दर्ज कराया दुष्कर्म का केस, हाईकोर्ट ने निरस्त की एफआईआर

चार वर्ष बाद दर्ज कराया दुष्कर्म का केस, हाईकोर्ट ने निरस्त की एफआईआर



जबलपुर। आपसी सहमति से चार साल तक चले सम्बंध के बाद दुष्कर्म के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अभियोजिका के आर्थिक रूप से निर्भर होने के बाद भी एफआईआर में देरी को अतार्किक माना। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अभियोजिका को स्वतंत्रता दी है कि वह अपने रुपए वापस पाने के लिए सिविल केस दायर कर सकती है।

नरसिंहपुर निवासी वीर सिंह राजपूत ने याचिका दायर कर उसके खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता साक्षी भारद्वाज ने बताया कि अभियोक्त्री और याचिकाकर्ता 2019 से 2023 तक सम्बंध में रहे। दोनों की सहमति से संबंध बने। जब याचिकाकर्ता का विवाह दूसरी युवती से होने लगा तो एफआईआर दर्ज कराई। वहीं, पीड़िता की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता ने शादी का झांसा देकर सम्बंध बनाए और उसे ब्लैकमेल करते हुए रुपए ऐंठे। कोर्ट ने अभियोजिका के आर्थिक रूप से निर्भर होने के बाद भी एफआईआर में देरी को अतार्किक मानते हुए याचिका को अनुमति देते हुए राजपूत के खिलाफ दर्ज एफआइआर निरस्त करने का आदेश पारित किया।
-यूपीएससी उत्तीर्ण की है
सुनवाई के दौरान अनावेदिका के अधिवक्ता की ओर से याचिकाकर्ता के यूपीएससी सम्बंधी दस्तावेजों के फर्जी होने का मुद्दा उठाया था। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया िक याचिकाकर्ता ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस संबंध में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय
कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के दस्तावेज भी साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किए गए।

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