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हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदला

हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदला



-सागर अंतर्गत बंडा में मासूम बहन से दुष्कर्म के बाद सिर काटकर जघन्य हत्या का बहुचर्चित मामला

-कोर्ट ने कहा- यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है, जहां अपीलकर्ता को केवल मृत्युदंड ही दिया जाए

पश्चाताप से ग्रस्त एक युवा को सुधार करने और एक बेहतर नागरिक बनने इसी जीवन में दिया गया अवसर

जबलपुर।हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने सागर अंतर्गत बंडा में मासूम बहन से दुष्कर्म के बाद सिर काटकर जघन्य हत्या के बहुचर्चित मामले में सत्र न्यायालय के फैसले को पलट दिया। इसके अंतर्गत आरोपित भाई राम प्रसाद अहिरवार को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया गया। जबकि मामले में अन्य आरोपित मृतिका के चाचार बंशीलाल अहिरवार को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता है, जहां अपीलकर्ता को केवल मृत्युदंड ही दिया जाना उचित है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि घटना के बाद आरोपित ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था। वह समाज के वंचित श्रमिक वर्ग से आता है, अतएव उसकी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि, शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखते हुए
न्यायोचित संतुलन बनाया जाना आवश्यक है। इस आधार पर हाई कोर्ट का सुविचारित मत है कि मृत्युदंड के स्थान पर पश्चाताप से ग्रस्त एक युवा को सुधार करने और एक बेहतर नागरिक बनने के लिए इसी जीवन में अवसर मिलना चाहिए। इस मामले की सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता सागर, बंडा निवासी राम प्रसाद अहिरवार सहित अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त व दिलीप सिंह परिहार ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सत्र न्यायालय ने इस मामले को विरल से विरलतम श्रेणी में रखकर मृत्युदंड जैसा अपेक्षाकृत कठोर फैसला सुना दिया। बावजूद इसके कि अपीलकर्ता राम प्रसाद अहिरवार एक पेशेवर हत्यारा नहीं है। यह उसका पहला अपराध था। अभियोजन पक्ष मृतिका की वास्तविक आयु सिद्ध करने में भी विफल रहा है। आरोपित व्यक्ति समाज के वंचित वर्ग अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। उसके माता-पिता की मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं। इस प्रकार, उनके लिए उपलब्ध शिक्षा और सामाजिक संपर्क का स्तर जातिगत गतिशीलता और हमारे समाज में मौजूद ग्रामीण शहरी विभाजन के सामाजिक परिवेश के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। यद्यपि हत्या करना क्रूरता है लेकिन राम प्रसाद अहिरवार की आयु और उसके द्वारा अपराध स्वीकार करने को भी ध्यान में रखना चाहिए।

क्या था मामला
नाबालिग 13 मार्च, 2019 को घर से स्कूल परीक्षा देने निकली थी। जब घर वापस नहीं लौटी तो 14 मार्च, 2019 को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। गन्नी नामक युवक ने पुलिस को बताया कि वह रामभगत के खेत की ओर गया था, जहां एक बालिका का सिर कटा शव देखा है। जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। इसी के साथ अपराध पंजीबद्ध किया गया।

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