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नवरात्रि का सातवां दिन: माँ कालरात्रि की पूजा विधि एवं महत्व

नवरात्रि का सातवां दिन: माँ कालरात्रि की पूजा विधि एवं महत्व

नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित होता है। माँ कालरात्रि को तामसिक शक्तियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। यह माँ दुर्गा का सातवां रूप है, और इन्हें ‘काल’ अर्थात् समय और मृत्यु का संहार करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा से भय, शत्रु, रोग, एवं सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन साधक माँ की आराधना करके अपनी आंतरिक और बाह्य बाधाओं का नाश कर सकते हैं।

माँ कालरात्रि की कथा

पुराणों के अनुसार, राक्षस शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज के आतंक से त्रस्त देवताओं ने माँ दुर्गा से प्रार्थना की थी। तब माँ ने कालरात्रि का रूप धारण किया और रक्तबीज का वध किया। माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत उग्र और भयावह होता है, लेकिन भक्तों के लिए ये सदा शुभ फलदायी होती हैं।

इनकी उत्पत्ति का एक और कारण यह था कि देवी ने समय और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर संसार से अज्ञान और अधर्म का नाश किया। माँ कालरात्रि का रूप तामसिक होते हुए भी साधकों के लिए कल्याणकारी होता है।

माँ कालरात्रि की पूजा विधि

  1. स्नान और स्वच्छता: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  2. माँ की स्थापना: माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें और सामने दीप जलाएं।
  3. संकल्प: पूजा से पहले माँ का ध्यान करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प मंत्र बोलें:

“मम सकल संकट, दुःख, दरिद्रता नाशार्थं, आयु: आरोग्य ऐश्वर्य प्राप्तये माँ कालरात्रि पूजनं करिष्ये।”

माँ का आवाहन और ध्यान: माँ कालरात्रि का ध्यान और आवाहन करें। आवाहन मंत्र:

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, ॐ कालरात्र्यै नमः।”

पूजा सामग्री: पुष्प, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, धूप, दीप, नैवेद्य, और लाल वस्त्र का प्रयोग करें। माँ को गुड़, जौ, और तिल का भोग लगाएं।

पूजा के बाद माँ कालरात्रि की आरती करें।

माँ कालरात्रि की आरती

जय कालरात्रि माँ, जय कालरात्रि।
असुर संहारिणि, महाकालरात्रि॥

जो तुझे ध्यावे, सब संकट मिटावे।
मनवांछित फल पावे, कष्ट न कोई पावे॥

तू ही है पालनहारी, सबकी बिगड़ी सवारी।
तेरा जो ध्यान लगाए, उसे सुख-संपत्ति पावे॥

रक्तबीज को मारा, दुष्टों का संहार किया।
महाकाली रूप धारण कर, राक्षस दल को संहारा॥

शुभ करने वाली माँ, दुखों को हरने वाली।
नवरात्रि में पूजा कर, भक्त सभी तेरे गुण गाए॥

जय कालरात्रि माँ, जय कालरात्रि।
असुर संहारिणि, महाकालरात्रि॥

माँ की आरती जो कोई जन गावे,
सकल कष्ट दूर हो जावे॥

माँ कालरात्रि मंत्र जप: इस दिन विशेष रूप से माँ कालरात्रि का मंत्र जप करना चाहिए। मंत्र है:

“ॐ कालरात्र्यै नमः”

इस मंत्र का 108 बार जप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है।

हवन विधि: माँ कालरात्रि की पूजा में हवन का भी विशेष महत्व होता है। हवन सामग्री में आम की लकड़ी, गाय के गोबर के उपले, घी, तिल, गुड़ और जौ का उपयोग करें।

हवन मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा।
ॐ कालरात्र्यै नमः स्वाहा।

हवन के दौरान 11 या 21 आहुतियाँ दें। हवन के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।

दुर्गा सप्तशती का पाठ: इस दिन “दुर्गा सप्तशती” का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ें।

माँ कालरात्रि का आराधना का फल

  • भय और रोगों से मुक्ति।
  • शत्रुओं का नाश और विजय प्राप्ति।
  • आध्यात्मिक उन्नति और तामसिक शक्तियों से रक्षा।
  • मनोवांछित फल की प्राप्ति।

माँ कालरात्रि की कृपा से साधक को सभी प्रकार के भय और समस्याओं से छुटकारा मिलता है, और उसकी साधना पूर्ण होती है।

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