पिछले कई वर्षो से जिले भर के नगरीय निकाय खुले आम भुगतान नियमों का माखोल उड़ा रहे है और धारा 13 के तहत् भुगतान से पहले कलेक्टर (कोषालय) से अनुमति लेने के जरूरत ही नहीं समझ रहे हैं। यदि पिछले एक साल मे हुए भुगतान की ईमानदारी से जांच करा दी जाए तो कई मुख्य नगरपालिका अधिकारी तृतीय श्रेणी और मस्टर रोल कर्मचारियों को मोहरा बनाकर लूट मचा रखी जिम्मेदारों को तो कमीशन से मतलब है पर बड़ा सवाल यह है की बिल्ली के गले में घंटी आखिर बांधेगा कौन?
सरकार ने जिले के लगभग हर विभाग प्रमुख को आहरण वितरण के अधिकार दिए हुए है जिसका उपयोग कर विभाग प्रमुख धड़ाधड़ भुगतान किये जा रहे, उन्हें यह भी पता है की भुगतान के लिए वे जो प्रक्रिया अपना रहे है वह अवैध है फिर भी भुगतान किया जा रहा है। शासन ने यदि मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को भुगतान के खुले अधिकार दिए हंै तो वही उनकी मनमानी को थामने के लिए नियम 13 भी बनाया है। इस नियम 13 का पालन छतरपुर नगरपालिका सहित जिले के किसी भी नगरीय निकाय द्वारा नहीं किया जा रहा है और खुलेआम नियम 13 का माखोल उड़ाने में जिले भर के नगरीय निकाय शामिल है।
क्या है नियम तेरह-
सरकार ने विभाग प्रमुखों की भुगतान सम्बन्धी मनमानी को रोकने के लिए नियम 13 का पालन करना अनिवार्य किया है यदि भुगतान मै नियम 13 का पालन नहीं किया जाता है तो भुगतान अवैध और नियम विरूद्ध माना जाता है। नियम 13 के तहत् भुगतान अधिकारी को भुगतान संबंधी नस्ती कलेक्टर कार्यालय के कोषालय शाखा को प्रस्तुत करना होती है और जब तक कलेक्टर कार्यालय की कोषालय शाखा भुगतान करने की अनुमति नहीं दे देती है तब तक भुगतान नहीं किया जा सकता है। राज्य शासन ने कई आदेश निर्देश जारी कर विभाग प्रमुखों को नियम 13 का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी किए हैं उसके बाद भी मुख्य नगरपालिका अधिकारियों द्वारा नियम 13 के तहत् कलेक्टर और कोषालय अधिकारी से अनुमति नहीं ली जा रही है और खुलेआम नियम 13 की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सबसे बड़ा सवाल आखिर सरकारी धन के लुटेरे को रोकेगा कौन
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