
कोतमा में अधिवक्ता संघ ने सुरक्षा मजबूत करने, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की माँग रखी
कोतमा। व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक अमनदीप सिंह छाबड़ा के निजी आवास पर 24 अक्टूबर की रात कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई पत्थरबाजी की घटना ने न्याय व्यवस्था की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। इस कृत्य से आक्रोशित कोतमा अधिवक्ता संघ ने न्यायाधीशों और न्यायालयीन अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए 27 अक्टूबर को न्यायिक कार्य पूर्णतः बंद रखने का निर्णय लिया।
अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेश सोनी एडवोकेट ने कहा कि यह घटना न सिर्फ न्यायिक कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाली है, बल्कि न्यायपालिका के सम्मान पर खुली चोट है। उन्होंने बताया कि विचाराधीन मामले के आरोपी पक्ष ने न्यायाधीश के घर पर अभद्र व्यवहार और पथराव जैसी आपत्तिजनक हरकत कर कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाई हैं, जिसकी संघ कड़ी निंदा करता है।
इसी संदर्भ में अधिवक्ता संघ ने महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोतमा के माध्यम से सौंपते हुए निम्न माँगें रखी हैं


आरोपियों पर कठोर दंडात्मक एवं प्रतिबंधात्मक कार्यवाही
जज व न्यायालयीन अधिकारियों की सुरक्षा के लिए मजबूत व्यवस्था
न्यायालय परिसर में सुरक्षा हेतु नियमित पुलिस गश्त और सीसीटीवी कैमरे की स्थापना
अपराधियों की लगातार निगरानी और अवैध गतिविधियों पर रोक
भविष्य में किसी भी अधिवक्ता पर अप्रिय घटना होने पर तत्काल कड़ी कार्रवाई
अधिवक्ता समुदाय का कहना है कि यदि शीघ्र प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो कार्य बहिष्कार आगे भी जारी रह सकता है। उनकी ओर से भेजा गया ज्ञापन म.प्र. उच्च न्यायालय जबलपुर के रजिस्ट्रार और जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनूपपुर को भी सूचनार्थ भेजा गया है।
वकीलों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायपालिका की गरिमा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।



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