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इन्दौर में चलता-फिरता जानलेवा संक्रमण प्रशासन की अनदेखी से एडवांस लाइफ सर्पोट वाहनों में मरीज की जगह सवार हो रही लाशें…

इन्दौर में चलता-फिरता जानलेवा संक्रमण प्रशासन की अनदेखी से एडवांस लाइफ सर्पोट वाहनों में मरीज की जगह सवार हो रही लाशें…


स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी बेपरवाह
कार्यवाही करने के बजाय झाड़ रहे पल्ला
रेड व निजी कंपनी के वाहनों की मनमानी



   इन्दौर। एजुकेशन और हेल्थ का हब इन दिनों बिना वजह लादे गए संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। कब आपके सामने मौत आकर खड़ी हो जाए, कुछ भी कहा नहीं जा सकता। दरअसल, प्रशासन की अनदेखी के चलते एडवांस लाइफ सपोर्ट वाहनों में मरीज की जगह लाशों को ढोया जा रहा है और यह सब सेहत के इन मंदिरों के नीचे हो रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरी तरह बेपरवाह बने हुए है और इन पर कार्यवाही करने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। रेड व निजी कंपनी के वाहनों की मनमानी से इन्दौर में चलता-फिरता जानलेवा संक्रमण तेजी से पसर रहा है।


   आमतौर पर एडवांस लाइफ सपोर्ट वाहन (आईसीयू व्हील) मरीज की जान बचाने के लिए होते हैँ और इसमें मरीज की सुरक्षा के सारे प्रबंध याने पूरा सपोर्ट सिस्टम भी सुनिश्चत करना होता है, ताकि मौत से जूझते व्यक्ति को बचाया जा सके। इस वाहन को संक्रमण से बचाने के लिए हरदम प्रयास किए जाते हैं, लेकिन रेड व अन्य निजी कंपनी के एम्बुलेंस वाहनों की मनमानी के चलते अस्पतालों से शवों को भी ढोया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बतात हैं कि एक बार वाहन में शव ले जाने पर उसे संक्रमणमुक्त करने के लिए फार्मोलीन से धोया जाता है, ताकि वाहन के संक्रमण का बुरा असर दूसरे लोगों को प्रभावित नहीं कर सके। एडवांस लाइफ सपोर्ट वाहनों में शवों को लाने ले जाने की पूरी मनाही है। यह रोक इसलिए भी लगाई गई है कि शवों के संक्रमण का बुरा असर इन वाहनों में सफर करने वाले जीवित व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइड लाइन के अनुसार ऐसे वाहनों में शवों को ढोना सख्त मनाही होने के साथ इस गतिविधि को अपराधिक कृत्य की श्रेणी में रखा गया है। बावजूद इसके जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते ऐसे वाहनों में नौसिखिए लोगों को चिकित्सा का एप्रन पहना कर भेजा जाता है। इन वाहनों में चलने वाले तथाकथित चिकित्सक के पास अपना कोई पहचान पत्र तक भी नहीं होता है, जिससे यह जाना जा सके कि यह अधिकृत चिकित्सक है या चिकित्सक के नाम पर मरीज के साथ धोखा करने वाला फर्जी बहुरूपिया?


     एडवांस लाइफ सपोर्ट वाहन से शव ढोने का एक चौंकाने वाला मामला 27 अगस्त 2024 को सामने आया, जिसने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी। घटनाक्रम के अनुसार महूगांव के मारूति नगर में रहने वाली महिला दोपहिया वाहन से दुर्घटना में घायल होने के बाद टी चोइथराम अस्पताल में भर्ती हुई थी। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद संक्रमण का नया दौर इस भाव ताव के साथ शुरू हुआ कि शव को जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया जाए। सौदा तय होने के बाद शव को जिला अस्पताल में चोईथराम अस्पताल से संचालित होने वाली हैदराबाद की कंपनी रेड एम्बुलेंस के वाहन TS-09-UD-2296 से जिला अस्पताल लाया गया। मृतक महिला बिहार की रहने वाली थी तो उसके परिजन रेड एम्बुलेंस से उसे महू तक ले गए तथा वहां से महिला का शव लाइफ सेविंग नामक एम्बुलेंस MP-13-DA-1002 से बिहार के लिए रवाना कर दिया गया।


    लाइफ सर्पोट एम्बुलेंस वाहनों में मरीज को ले जाने पर आम आदमी को यह भरोसा होता है कि इससे उनका मरीज सुरक्षित अस्पताल तक पहुंच जाएगा, लेकिन इन वाहनों के संचालकों ने लोगों के भरोसे को भी तोड़ा है और अब यह विश्वास करना मुश्किल हो गया है कि यह वाहन सक्रमण मुक्त है भी या नहीं। इससे ईमानदारीपूर्वक एम्बुलेंस वाहन संचालित करने वाले लोगों पर भी अंगुली उठना स्वाभाविक है। मिली जानकारी के मुताबिक इन्दौर में लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ मरीजों को लाने ले जाने के लिए दर्जनभर से ज्यादा ऐसे एम्बुलेंस वाहन संचालित हो रहे हैं, जिसमें तमाम संसाधनों के साथ चिकित्सक भी तैनात रहते हैं। जबकि शवों को ढोने के लिए एम्बुलेंस वाहनों की तादाद सैंकड़ों में है। रेड एम्बुलेंस के कर्ता-धर्ता ने ऊंचे दाम पर किराए तय कर इन्दौर के लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस वाहनों को कम कीमत में ठेका दे दिया है। इस मामले में चोइथराम अस्पताल के कर्ता-धर्ता की सांठ-गांठ भी सामने आ रही है। जब इन्हें मालूम है कि है कि कार्डियक वाहनों में शवों को नहीं ढोया जाता है, बावजूद इसके इनकी मौजूदगी में ये संक्रमण के वाहक वाहन वाले खुलेआम प्रशासन को मुंह चिढ़ाते हुए तथा सायरन बजाते हुए इन्दौर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यातायात पुलिस भी इनकी हरकतों से बेखबर रहती है। वह कभी भी यह जांचने की जुर्रत नहीं करती है कि वाहन खाली है या इसमें मरीज के बजाय लाश तो नहीं जा रही है। ग्रीन कारिडोर बनाने वाले शहर में ऐसे वाहनों का चलता-फिरता संक्रमण शर्मनाक है।

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