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हरियाली अमावस्या पर समाज की बेटियों ने बोए हरियाली के बीज, नवगठित   मातारानी ठकुराईन महिला कल्याण समिति जिला जबलपुर

हरियाली अमावस्या पर समाज की बेटियों ने बोए हरियाली के बीज, नवगठित   मातारानी ठकुराईन महिला कल्याण समिति जिला जबलपुर


जबलपुर
हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर कुचबंधिया समाज की महिलाओं ने न केवल प्रकृति को प्रणाम किया, बल्कि समाज को हरियाली और

नई चेतना की सौगात देने का भी संकल्प लिया। इस शुभ दिन, नवगठित ‘माता महारानी ढाई ठकुराइन महिला कल्याण समिति’ द्वारा श्री वीर माना परिसर में एक प्रेरणादायक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने समाज में नई उमंग और सामाजिक जागरूकता की लहर दौड़ा दी।

कार्यक्रम की शुरुआत समाज की आराध्य ईष्ट देवी माता महारानी दाई ठकुराइन की विधिवत पूजा-अर्चना से हुई। समाज के वरिष्ठजनों का आशीर्वाद लेकर महिलाओं ने श्रद्धा और उत्साह से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया। वृक्षारोपण के दौरान वातावरण में भक्ति, उल्लास और महिला सशक्तिकरण की गूंज एक साथ सुनाई दी।

वृक्षारोपण की इस मुहिम में प्रमुख रूप से शामिल रहीं वंदना ठाकुर, शकुंतला खताविया, प्रीति सोधा, नीता भैंसवार, जयश्री सोधा, सोनिया भैंसवार, वंदना सोधा, गौरी, प्रिया लोखंडे, लक्ष्मी रारा, सीता सोधा, ज्योति भैंसवार सहित समाज की सैकड़ों माताएं और बहनें।

हरियाली से सजे इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल पौधे लगाना नहीं था, बल्कि समाज की महिलाओं को एकजुट कर शिक्षा, जागरूकता और सशक्तिकरण की दिशा में संगठित प्रयास करना भी था। ‘माता महारानी महिला कल्याण समिति’ के गठन को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। यह समिति भविष्य में समाज के बच्चों की शिक्षा, महिला स्वावलंबन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए कार्य करेगी।

परिसर का दृश्य भावविभोर करने वाला था
जहां एक ओर पूजा की धूपबत्तियों से वातावरण सुवासित था, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के हाथों में तुलसी, आम, नीम और बेलपत्र जैसे पौधे समाज के उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा कर रहे थे। मंगल गीतों की मधुर धुनों, हरी चुनरियों में सजी माताओं की टोली और हरे-भरे सपनों के साथ गूंजता “हर पेड़ एक वचन है, हर महिला एक शक्ति है” का नारा — यह आयोजन एक स्मरणीय क्षण बन गया।

समाज के लिए संदेश
“वृक्षों की जड़ों में समर्पण था, और शाखाओं में उगते भविष्य के सपने। यह कार्यक्रम सिर्फ वृक्षारोपण नहीं, समाज के नवोदय की शुरुआत है।”

यह आयोजन साबित करता है कि जब महिलाएं एकजुट होकर उद्देश्य तय कर लें, तो समाज और प्रकृति — दोनों को नई दिशा मिलती है।

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