
“गाइडलाइन की पाठशाला खत्म, बिना कागजों की बसों का खेल शुरू!”अनूपपुर स्कूली वाहनों की सुरक्षा को लेकर यातायात थाना में हुई बैठक, पर कार्रवाई के बजाय रस्मअदायगी का आरोप
अनूपपुर | शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही स्कूली बच्चों की सुरक्षित परिवहन व्यवस्था एक बार फिर चर्चा में है। इसी क्रम में अनूपपुर यातायात थाना परिसर में प्राइवेट स्कूल संचालकों की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला परिवहन अधिकारी सुरेंद्र सिंह गौतम और यातायात प्रभारी ज्योति दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए स्कूल बसों और वैन में सुरक्षा मानकों के पालन के निर्देश दिए।
अधिकारियों ने स्कूल संचालकों को लिखा हुआ आदेश भी जारी किया, जिसमें अनिवार्य शर्तों के रूप में वाहनों के पूरे दस्तावेज (बीमा, फिटनेस, परमिट, प्रदूषण प्रमाणपत्र) अद्यतन कराने, स्कूल बसों का रंग पीला रखने, ‘स्कूल बस’ या अनुबंधित होने की स्थिति में ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखवाने, गति नियंत्रण यंत्र (स्पीड गवर्नर), होरिजेंटल ग्रिल, अग्निशमन यंत्र, स्कूल का नाम व मोबाइल नंबर अंकित करने जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की बात कही गई। साथ ही, सीसीटीवी कैमरा, जीपीएस, 40 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति सीमा, प्रशिक्षित परिचालक, भारी वाहन चलाने का न्यूनतम 5 वर्षों का अनुभव रखने वाले लाइसेंसशुदा ड्राइवर और पुलिस से उनका चरित्र सत्यापन जैसे प्रावधानों का पालन करने के निर्देश दिए गए।
तीन दिन में मापदंड पूरे करने का अल्टीमेटम
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि समस्त स्कूल संचालकों को तीन दिन के भीतर सुरक्षा से जुड़े सभी मापदंड पूरे करने होंगे। साथ ही, स्कूलों से ट्रांसपोर्ट मैनेजर नियुक्त कर वाहनों के रखरखाव और दस्तावेजों का नियमित संधारण सुनिश्चित करने की भी हिदायत दी गई।
जमीनी सच्चाई नशे में चालक, कागज अधूरे, अभिभावक बेहाल
हालांकि वास्तविक तस्वीर इन निर्देशों के उलट दिखाई दे रही है। जून-जुलाई आते ही स्कूली बसों और ऑटो चालकों की मनमानी चरम पर पहुंच जाती है। अभिभावकों का आरोप है कि कई वाहन बिना बीमा, फिटनेस और वैध कागजातों के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। कुछ स्कूल बसों के ड्राइवर और कंडक्टर शराब के नशे में पाए जाते हैं, जिससे मासूम बच्चों की जान दांव पर लगी रहती है। सेंट जोसफ जैसी कुछ नामी स्कूलों की बसें तो बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के भी धड़ल्ले से चल रही हैं।
मीटिंग महज औपचारिकता, ठोस कार्रवाई गायब
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल ऐसी मीटिंग महज औपचारिकता बनकर रह जाती है। मंच से वही घिसी-पिटी बातें दोहराई जाती हैं, लेकिन कोई जमीनी कार्रवाई नहीं होती। लोगों की राय में सही मायने में सुधार तभी होगा, जब अधिकारियों द्वारा स्कूल बसों और स्टॉप पर मौके पर जांच कर कमियों को तुरंत दूर कराया जाए ताकि अभिभावक अपने बच्चों को सुरक्षित स्कूल भेज सकें और हादसों की आशंका पर विराम लग सके।




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