
अनूपपुर, मध्यप्रदेश | Anuppur, Madhya Pradesh
देश की आज़ादी को 77 साल पूरे होने के बाद भी अनूपपुर जिले में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पंचायत विकास के नाम पर योजनाओं की बजाय सिर्फ भ्रष्टाचार का साम्राज्य देखने को मिल रहा है। हाल के दिनों में विभिन्न अखबारों में छपी रिपोर्टें बताती हैं कि यहां हर विभाग में भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम चल रहा है, और दर्जनों अधिकारियों पर लोकायुक्त और EOW में केस होने के बावजूद उन्हें कोई डर नहीं है।
सड़क और पंचायत | Roads and Panchayats
गांवों में अब भी सड़कें नहीं हैं, बरसात में रास्ते बंद हो जाते हैं। जहां सड़कें बनीं भी, वहां घटिया निर्माण या सिर्फ कागजों पर योजनाओं का खेल हुआ।
पंचायतों में तालाब निर्माण के नाम पर बिना पट्टे के खुदाई करके फर्जी बिल लगाकर राशि आहरण किया गया।
स्वास्थ्य | Health
राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त जिला अस्पताल की बदहाली हैरान करने वाली है। बिजली गुल होते ही इलाज ठप हो जाता है, ICU में बच्चे और मरीज तड़पते हैं।
अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी कर रहे हैं, कोई जिम्मेदारी तय नहीं हो रही।
शिक्षा | Education
भालूमाड़ा हाईस्कूल में पिछले 8 साल से शिक्षक पदस्थ नहीं हुए। पहली से दसवीं तक की कक्षाओं के लिए केवल 2 शिक्षक, वो भी प्राथमिक स्तर के, हाईस्कूल में कोई नहीं।
बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो रही, लेकिन शिक्षा विभाग बेपरवाह।
पंचायत पारदर्शिता का मज़ाक | Panchayat Transparency Farce
पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपठनीय, धुंधले बिल अपलोड कर करोड़ों के भ्रष्टाचार को छिपाया जा रहा है।
जांच एजेंसियों और ग्रामीणों को असली खर्च पता ही नहीं चल पाता।
नगरीय निकाय | Urban Bodies
नालियों और सड़कों के निर्माण में भी जमकर भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण के बाद कुछ ही महीनों में सड़कों और नालियों के टूटने का खेल चलता है।
नगर पालिका में फर्जी मापपत्र और मनमानी भुगतान से जनता का पैसा हड़पने का आरोप आम है।
लोकायुक्त व EOW बेअसर | Lokayukta and EOW Ineffective
दर्जनों अधिकारियों के खिलाफ EOW और लोकायुक्त में प्रकरण लंबित हैं।
फिर भी ये अधिकारी कर्मचारी सत्ताधारी संरक्षण या सिस्टम की कमजोरी के कारण बेखौफ हैं।
The Big Question Why no strict action despite so many registered cases?
Why do corrupt officials continue to work fearlessly in Anuppur despite Lokayukta and EOW cases?
Does the administration lack willpower, or is political protection the reason for inaction?
When will the state government and anti-corruption agencies act decisively?



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