
जब दुनिया डिजिटलीकरण की दिशा में अग्रसर हो रही है, तब भारत का प्रशासनिक ढांचा भी तेजी से खुद को तकनीकी परिपक्वता के साथ ढाल रहा है। विशेषकर मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले ने इस दौड़ में एक उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है। 5 जून 2025 को जब राज्यस्तरीय आंकड़े जारी हुए, तो यह स्पष्ट हुआ कि अनूपपुर जिला ई-ऑफिस प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन में पूरे प्रदेश में द्वितीय स्थान पर आ गया है। यह महज एक स्थान नहीं, बल्कि सरकारी कार्यसंस्कृति में हो रहे बदलाव की दिशा में एक क्रांतिकारी संकेत है।
अनूपपुर जिले का यह उत्कृष्ट प्रदर्शन न केवल तकनीकी दक्षता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे पारंपरिक सरकारी कार्यप्रणाली को डिजिटल युग की जरूरतों के अनुसार पुनःपरिभाषित किया जा सकता है।
इस परिवर्तन के पीछे नेतृत्व कर रहे हैं कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली, जिनकी दूरदृष्टि, समर्पण और टीम को प्रेरित करने की क्षमता ने इस सफलता को जन्म दिया। उन्होंने न केवल ई-ऑफिस प्रणाली की सतत समीक्षा की, बल्कि कार्मिकों को नियमित प्रशिक्षण, तकनीकी मार्गदर्शन और कार्यशैली में बदलाव के लिए प्रेरित किया।
ई-ऑफिस क्या है और क्यों जरूरी है?
ई-ऑफिस प्रणाली भारत सरकार की एक पहल है, जो पेपरलेस कार्य प्रणाली, डिजिटल फाइल ट्रैकिंग, तेजी से निर्णय लेने की क्षमता और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देती है। यह प्रणाली आधुनिक प्रशासन की रीढ़ बनती जा रही है, जिससे:
सरकारी फाइलों का डिजिटल संधारण और ट्रैकिंग संभव होता है
निर्णय लेने में समय की बचत होती है
कागज की खपत में भारी कमी आती है
हर फाइल का टाइमस्टैम्प आधारित रिकॉर्ड उपलब्ध रहता है
नागरिक सेवाएं अधिक गति और पारदर्शिता के साथ पहुँचती है।
अनूपपुर का उदाहरण क्यों खास है?
अनूपपुर, जो भूगोलिक रूप से एक सीमांत आदिवासी जिला माना जाता है, वहाँ तकनीकी बदलाव को लागू करना एक बड़ी चुनौती थी। परंतु प्रशासन ने इस चुनौती को अवसर में बदला।
100% विभागों में ई-ऑफिस लागू किया गया
प्रत्येक शाखा में ई-ऑफिस समन्वयक नियुक्त किए गए
ऑनलाइन मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किए गए
जिला स्तर पर हर सप्ताह समीक्षा बैठकें आयोजित कर बाधाओं को दूर किया गया
वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर लिपिक स्तर तक आईटी प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई
परिणामस्वरूप क्या बदला?
फाइलों की प्रसंस्करण गति 40% तक बढ़ी
पत्राचार में पेपर का उपयोग 60% तक घटा
निर्णय लेने में लगने वाला औसत समय 10-12 दिनों से घटकर 3-4 दिन हुआ
नागरिकों की शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही संभव हुई

कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली की पहल
श्री पंचोली ने इस पहल को महज एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि एक व्यवस्थागत संस्कृति का हिस्सा माना। उन्होंने प्रत्येक विभागाध्यक्ष को “डिजिटल चैंपियन” के रूप में तैयार किया और स्वयं प्रत्येक विभाग के ई-ऑफिस कार्यप्रणाली की निरीक्षण रिपोर्ट नियमित रूप से देखी। उनके इस अभियान की आत्मा को दर्शाता है
“ई-ऑफिस केवल तकनीक नहीं, यह प्रशासनिक सोच का आधुनिक रूपांतरण है।”
राज्य स्तर पर पहचान
मध्यप्रदेश शासन द्वारा आयोजित ई-गवर्नेंस मूल्यांकन में अनूपपुर जिले को प्रदेश में द्वितीय स्थान से सम्मानित किया गया। यह केवल रैंकिंग नहीं, बल्कि आने वाले समय में ‘डिजिटल डिस्ट्रिक्ट’ बनने की ओर एक निर्णायक कदम है।
बदलते हुए परिवेश में व्यापक असर
आज जब आम नागरिक तेज़ सेवाएं चाहता है और सरकार से जवाबदेही की अपेक्षा करता है, ऐसे में ई-ऑफिस जैसी पहलें जनता और सरकार के बीच भरोसे की नई डिजिटल पुल बना रही हैं। यह अनूपपुर जिले के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुका है।
ई-गवर्नेंस के इस युग में अनूपपुर का यह कदम केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। यह दर्शाता है कि जब नेतृत्व सक्रिय हो, टीम समर्पित हो और सोच नवाचारपरक हो, तो सीमांत जिला भी प्रदेश में उत्कृष्टता की मिसाल बन सकता है।
अनूपपुर अब तकनीकी सशक्तिकरण और प्रशासनिक दक्षता का नया पर्याय बनता जा रहा है – और यह शुरुआत भर है।



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