
(वक्फ संपत्तियों के उपयोग और दुरुपयोग पर उठा बड़ा सवाल, पारदर्शिता की मांग तेज)
देश में वक्फ संपत्तियों का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इनका सामाजिक उपयोग कितना हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है। बिहार के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने इस मुद्दे को लेकर एक साहसिक बयान दिया है, जो अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने वक्फ संपत्तियों को लेकर मुस्लिम समाज से तीखा सवाल पूछा है
“वक्फ फंड से कितने स्कूल, अस्पताल और अनाथालय बनाए गए हैं?”
उन्होंने साफ कहा कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों के सामाजिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए हैं, लेकिन व्यवहार में इनका उपयोग कितनी हद तक हो रहा है, यह आज भी एक रहस्य है। राज्यपाल का यह बयान देशभर में हलचल मचा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वक्फ अधिनियम में संशोधन की बातें जोर पकड़ रही हैं।
वक्फ संपत्तियों का विस्तार और दुरुपयोग

देश में वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख एकड़ से अधिक भूमि है, जो रेलवे और रक्षा विभाग के बाद भारत की तीसरी सबसे बड़ी भूमि है।
15 वर्षों में वक्फ संपत्तियों की संख्या दोगुनी हो गई है, लेकिन सामाजिक संस्थाओं में निवेश नगण्य है।
58,929 वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं, जिनमें से केवल कर्नाटक में 869 संपत्तियां शामिल हैं।
विवाद और अवैध दावे
तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने एक पूरे गांव और 1500 साल पुराने हिंदू मंदिर पर दावा ठोंक दिया, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया।
कई राज्यों में वक्फ बोर्ड ने सरकारी जमीन पर भी दावा करना शुरू कर दिया है।
राज्यपाल की चेतावनी
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि
“इस्लाम में वक्फ की अवधारणा एक धार्मिक सामाजिक ज़िम्मेदारी है, जिसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और जरूरतमंदों के लिए होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से इसका इस्तेमाल कुछ लोगों की संपत्ति बढ़ाने या राजनीतिक प्रभाव के लिए हो रहा है।”
मांग उठी – पारदर्शिता और CBI जांच
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी कहा कि वक्फ संपत्तियों का गलत उपयोग हो रहा है और CBI जांच की मांग की।
उन्होंने कहा – “अगर इतने बड़े स्तर पर संपत्तियां हैं, तो समाज के लिए स्कूल, अस्पताल क्यों नहीं दिखते?”
केंद्र सरकार की पहल
मोदी सरकार ने ‘वक्फ संशोधन विधेयक 2025’ का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर लगाम लगाने की बात है।
बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और गैरकानूनी दावों को रोकना है।
वक्फ संपत्तियों का उपयोग एक गंभीर विषय बन चुका है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जो सवाल उठाया है, वह केवल एक बयान नहीं बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है।
आज आवश्यकता है कि वक्फ संपत्तियों की सीबीआई या न्यायिक जांच हो, ताकि यह तय हो सके कि वक्फ फंड वास्तव में समाज के उत्थान में लगा है या फिर कुछ लोग इसे अपने निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।



Leave a Reply