
नवनिर्मित परिवार न्यायालय भवन, बाल-अनुकूल न्यायालय और आवासीय इकाइयों का ऑनलाइन उद्घाटन
3 अप्रैल 2025 को, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री सुरेश कुमार कैत ने वर्चुअल माध्यम से ज़िला झाबुआ और बालाघाट में नवनिर्मित परिवार न्यायालय भवन, बुढ़ार (शहडोल), राजेन्द्रग्राम (अनूपपुर), ज़िला शाजापुर, कोलारस (शिवपुरी) में आवासीय परिसर और मनावर (धार) में बाल-अनुकूल न्यायालय कक्ष का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशगण उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं:
माननीय श्री न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा, प्रशासनिक न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, म.प्र.
माननीय श्री न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर, न्यायाधीश, उच्च
न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, झाबुआ
माननीय श्री न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा, न्यायाधीश, उच्च
न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, बालाघाट
माननीय श्रीमती न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला, न्यायाधीश, उच्च
न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, शहडोल व अनूपपुर
माननीय श्री न्यायमूर्ति संजीव एस. कालगांवकर, न्यायाधीश,
उच्च न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, शाजापुर
माननीय श्री न्यायमूर्ति प्रेम नारायण सिंह, न्यायाधीश, उच्च
न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, धार
माननीय श्री न्यायमूर्ति हिर्देश, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, शिवपुरी
माननीय श्री न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, बालाघाट
माननीय श्री न्यायमूर्ति गजेन्द्र सिंह, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, म.प्र. एवं पोर्टफोलियो न्यायाधीश, झाबुआ
मुख्य न्यायाधीश का संबोधन
इस अवसर पर, माननीय मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि झाबुआ और बालाघाट में नए परिवार न्यायालय भवनों के निर्माण से पारिवारिक विवादों के निपटारे के लिए एक सुव्यवस्थित स्थान उपलब्ध होगा। उन्होंने आगे कहा कि धार ज़िले के मनावर में बाल-अनुकूल न्यायालय कक्ष को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि वह छोटे गवाहों और पीड़ितों के लिए एक सुरक्षित और सहज माहौल प्रदान करे।
इसके अतिरिक्त, नव निर्मित आवासीय परिसर न्यायिक अधिकारियों के लिए सुसज्जित और आरामदायक आवास उपलब्ध कराएंगे, जिससे वे अपने कर्तव्यों को अधिक ध्यान और दक्षता के साथ निभा सकें। इन परियोजनाओं के लिए कुल ₹24 करोड़ की राशि व्यय की गई है।
मुख्य न्यायाधीश ने ज़ोर देते हुए कहा कि “प्रगति केवल कानूनों और निर्णयों से नहीं मापी जाती, बल्कि इस बात से भी आंकी जाती है कि लोग कितनी आसानी से न्याय की मांग कर सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं।”
परिसरों की विशेषताएँ:
नवनिर्मित परिवार न्यायालय भवनों में कोर्ट रूम, फाइलिंग सेक्शन, काउंसलिंग रूम, कॉमन रूम, क्रेच (बच्चों के लिए देखभाल केंद्र) और अन्य आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
बाल-अनुकूल न्यायालयों में कोर्ट रूम, गवाह प्रतीक्षा कक्ष, कॉमन रूम और सुगमता विशेषताएँ (Accessibility Features) होंगी।
कुल 14 आवासीय इकाइयाँ उपलब्ध कराई जाएंगी:
बुढ़ार (शहडोल) में 5
शाजापुर में 5
राजेन्द्रग्राम (अनूपपुर) में 2
कोलारस (शिवपुरी) में 2
पोर्टफोलियो न्यायाधीशों का योगदान
उक्त कार्यक्रम में संबोधित करते हुए, माननीय पोर्टफोलियो न्यायाधीशों ने नए परिवार न्यायालयों, आवासीय परिसरों और बाल-अनुकूल न्यायालय कक्षों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये सुविधाएँ न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावी, सुलभ और न्यायसंगत बनाएंगी।
कार्यक्रम में श्री धर्मेन्द्र सिंह, रजिस्ट्रार जनरल ने स्वागत भाषण दिया तथा श्री युगल रघुवंशी, रजिस्ट्रार (निर्माण एवं आधारभूत संरचना) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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