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राम नवमी विशेष
क्या राम अब भी प्रासंगिक हैं?
“हम सबके राम – जन जन के राम, आदि अनंत राम”

राम नवमी विशेषक्या राम अब भी प्रासंगिक हैं?“हम सबके राम – जन जन के राम, आदि अनंत राम”



राम नवमी केवल भगवान श्रीराम का जन्मदिन नहीं है, यह भारतीय जीवन मूल्य, नीति, मर्यादा, धर्म और संतुलन का उत्सव है। श्रीराम भारतीय जनमानस में न केवल एक ईश्वर के रूप में पूजनीय हैं, बल्कि एक आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श पति, मित्र और योद्धा के रूप में भी स्थापित हैं। वे ‘रामायण’ के नहीं, भारत के हर कण-कण के हैं – वास्तव में

“जन-जन के राम” हैं।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण ‘राम’ एक अनुभूति हैं
राम कोई कल्पना नहीं, चेतना हैं।
राम का नाम लेने से ही भवसागर पार होता है, यह केवल भक्ति का दावा नहीं, आस्था की अनुभूति है।
तुलसीदास ने कहा
“राम नाम मनिमंत्र सम,जानहि जे जन राउ।”
‘राम’ शब्द में तीन अक्षर हैं – र, आ, म – ये तीनों ही स्वर और व्यंजन का संतुलन बनाते हैं, जो श्वास और प्राणवायु से जुड़ा है।

राम तत्व वेदों में
ऋग्वेद में ‘ऋतम्’ और ‘सत्यम्’ की चर्चा रामतत्व से मिलती-जुलती है, जिसमें ब्रह्म के साकार रूप की झलक मिलती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या राम ऐतिहासिक हैं?
रामसेतु – भूगर्भीय प्रमाण
नासा के सेटेलाइट चित्रों में श्रीलंका और भारत के बीच “Adam’s Bridge” नामक संरचना है, जिसे रामसेतु कहा जाता है।
इसे मानव निर्मित और 5000+ वर्ष पुराना माना गया है।
रामायण की भूगोलिक सटीकता
वाल्मीकि रामायण में जिन स्थानों का वर्णन है (चित्रकूट, पंचवटी, जनकपुर, अयोध्या), वे आज भी मौजूद हैं – उनके नाम, भौगोलिक स्थिति, और संस्कृति अभी भी जीवित है।

सामाजिक दृष्टिकोण राम – सभी के लिए
राम सिर्फ राजकुमार नहीं, दलितों के भी देव
शबरी – एक आदिवासी महिला को श्रीराम ने गले लगाया, उसके जूठे बेर खाए।
निषादराज गुह – मल्लाह, राम के पहले सच्चे साथी।
राम हर वर्ण, जाति और आयु के साथ
रामकथा को गांव का बच्चा भी जानता है, और संस्कृत का आचार्य भी गाता है।
रामलीला – दलित, ब्राह्मण, मुस्लिम, सिख – सब मिलकर खेलते हैं।

बालकों के लिए राम – नैतिकता का पाठशाला
राम का जीवन बच्चों को संयम, भाईचारा, माता-पिता के प्रति सम्मान और सत्य के लिए संघर्ष सिखाता है।
जैसे लक्ष्मण बड़े भाई के लिए वन चले, वैसे ही आज के बच्चों में त्याग की भावना जगाई जा सकती है।
युवाओं के लिए राम – नेतृत्व और निर्णय
राम ने हर कठिन परिस्थिति में मर्यादा नहीं छोड़ी।
युवाओं के लिए यह नेतृत्व, धैर्य और दूरदृष्टि का आदर्श है:
निर्णय लेना (14 वर्ष का वनवास स्वीकार करना)
नेतृत्व देना (वानर सेना को संगठित करना)
अनुशासन और धर्म के बीच संतुलन रखना (सीता की अग्निपरीक्षा)

महिलाओं के लिए – सीता नहीं, राम भी प्रेरणा हैं
श्रीराम ने सीता के मान-सम्मान के लिए लंका जैसे महासाम्राज्य को ध्वस्त कर दिया।
आज की नारी सुरक्षा की भावना, अपनी गरिमा की रक्षा के लिए रामत्व की अपेक्षा करती है।
वृद्धों के लिए राम – सेवा व संतुलन
श्रीराम ने अपने पिता दशरथ के वचनों का पालन किया, यह वृद्धजन सम्मान का श्रेष्ठ उदाहरण है।
माता कौशल्या, कैकई, सुमित्रा  तीनों माताओं की इच्छाओं का संतुलन।
क्या राम अब भी प्रासंगिक हैं?

जब भी अन्याय होगा – राम याद आएंगे।
जब भी कोई भाई से बढ़कर त्याग करेगा – भरत की तरह – राम याद आएंगे।
जब कोई राजा प्रजा को सर्वोपरि मानेगा – रामराज्य का आदर्श याद आएगा।
राम और तकनीक आधुनिक युग में राम कैसे?
Ramayana for Gen Z – डिजिटल युग में एनीमेशन, पॉडकास्ट, इंस्टाग्राम रील्स के ज़रिए राम को फिर से जीवंत किया जा रहा है।
IITs, IIMs में “रामायण से मैनेजमेंट” विषय पर शोध हो रहा है।

राम सबके हैं, सब राम के हैं
राम वह बीज हैं जिससे सभ्यता की शाखाएं फैलीं।
राम वह ज्योति हैं जो समय के अंधकार में भी दिखती है।
राम वह ‘भावना’ हैं जो हर दिल में मर्यादा, प्रेम, सेवा और न्याय के रूप में धड़कती है।
“राम राम सब करें, राम बिना नहीं ठौर

( कैलाश पाण्डेय)

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