घिसी-पिटी कहानी
फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई नयापन नहीं था। दर्शकों को लगा कि वे वही पुरानी सलमान स्टाइल देख रहे हैं जिसे अब वे कई बार देख चुके हैं।
ओवरएक्टिंग और बेजान संवाद
सलमान खान का अभिनय “स्टाइल ओवर इमोशन” हो गया। डायलॉग्स में दम नहीं था, और चेहरे के हाव-भाव भी कृत्रिम लगे।
तकनीकी पक्ष की कमज़ोरी
वीएफएक्स और एक्शन सीक्वेंस उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। कई दृश्यों में नकलीपन साफ दिखा।
म्यूजिक और गानों की विफलता
सिवाय “दिल सिकंदर” के, बाकी गाने लोगों को याद भी नहीं रहे। साउंडट्रैक कमजोर था और फिल्म में मजबूती नहीं दे पाया।
दर्शकों की बदली पसंद
अब पब्लिक कंटेंट-बेस्ड सिनेमा चाहती है—जैसे Jawan, Animal, Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai जैसी फिल्में। सिर्फ स्टार पावर से अब टिकट नहीं बिकते।

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