जुलाई 2024 की उस रात, जब गांव की गलियों में अंधेरे का सन्नाटा था, तब एक मासूम बच्ची की ज़िंदगी से उजाला छीन लिया गया। दो परिचित चेहरों पर भरोसा कर नाबालिग पीड़िता ने जब उनके पीछे बैठने की हिम्मत की, तब शायद ही उसने सोचा होगा कि वह पल उसकी आत्मा पर हमेशा के लिए दाग छोड़ देगा।
लेकिन एक साल बाद जब उसने अपने अंदर की टूटन को शब्द दिए और मां के साथ पुलिस चौकी पहुंची, तब सीधी पुलिस ने जिस संजीदगी, सक्रियता और संवेदनशीलता के साथ इस मामले को अंजाम तक पहुंचाया, उसने न सिर्फ पीड़िता को इंसाफ दिलाने का काम किया, बल्कि समाज को भी झकझोर दिया।
मामला अमिलिया थाना क्षेत्र के सिहावल चौकी अंतर्गत ग्राम बमुरी का है। जुलाई-अगस्त 2024 में पीड़िता को दो आरोपियों — अंकुश साकेत और राजा उर्फ संदीप साकेत — ने “घर छोड़ने” के बहाने बमुरी स्थित एक मकान में ले जाकर छोड़ दिया, जहां पहले से तीन अन्य युवक — कृष्णा, अमरपाल और मोनू साकेत — मौजूद थे। पांचों ने मिलकर नाबालिग के साथ वहशीपन की हदें पार कर दीं।
घटना के समय भय और सामाजिक कलंक के डर से पीड़िता खामोश रही। लेकिन जब उसने अपनी मां को घटना बताई, तो 3 अप्रैल 2025 को उसने हिम्मत जुटाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई।
सीधी पुलिस की खोजी कार्रवाई: तीन राज्यों में दबिश
पुलिस अधीक्षक डॉ. रविंद्र वर्मा ने न केवल 10 हजार रुपए के इनाम की घोषणा की बल्कि एसडीओपी आशुतोष द्विवेदी के नेतृत्व में तीन विशेष टीमों का गठन कर आरोपियों की तलाश में कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश तक का रुख किया।
अंकुश साकेत को कर्नाटक से
राजा उर्फ संदीप साकेत को महाराष्ट्र से
मोनू साकेत को आंध्र प्रदेश से
कृष्णा और अमरपाल साकेत को नकझर थाना बहरी (सीधी) से गिरफ्तार किया गया।
तकनीकी साक्ष्यों, मोबाइल लोकेशन और पुराने नेटवर्क्स को खंगालते हुए पुलिस टीम ने मात्र 72 घंटों के भीतर सभी आरोपियों को शिकंजे में ले लिया।
निरीक्षक राजेश पांडे (थाना प्रभारी अमिलिया)
उनि. इंद्राज सिंह, विशाल शर्मा, सुनील पाठक
प्र.आर. विक्रम सिंह, आर. दिवाकर सिंह, शिवम् पांडे, चैतन्य मिश्रा
महिला आरक्षक प्रतीक्षा सिंह
साइबर सेल से प्रदीप मिश्रा और कृष्णमुरारी द्विवेदी
इन सभी ने सटीक खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर राज्यवार संपर्क और आरोपी की धरपकड़ तक ।

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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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