
केंद्र सरकार ने सोमवार को सांसदों के वेतन में 24% की वृद्धि की अधिसूचना जारी की है। इसके तहत, मौजूदा सांसदों का मासिक वेतन ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.24 लाख कर दिया गया है।
वेतन और भत्तों का वर्तमान ढांचा:
मासिक वेतन: ₹1,24,000
दैनिक भत्ता: ₹2,500 (पहले ₹2,000)
पूर्व सांसदों की पेंशन: ₹31,000 प्रति माह (पहले ₹25,000)
अतिरिक्त पेंशन: पांच वर्ष से अधिक की सेवा पर प्रत्येक वर्ष के लिए ₹2,500 प्रति माह (पहले ₹2,000)
स्वतंत्रता के समय से अब तक सांसदों के वेतन में प्रमुख परिवर्तन:
1952: स्वतंत्रता के बाद, सांसदों का मासिक वेतन ₹400 निर्धारित किया गया था।
1985: वेतन बढ़ाकर ₹1,500 किया गया।
1998: वेतन ₹4,000 प्रति माह हुआ।
2001: वेतन ₹12,000 प्रति माह हुआ।
2006: वेतन ₹16,000 प्रति माह हुआ।
2010: वेतन ₹50,000 प्रति माह हुआ।
2018: वेतन ₹1,00,000 प्रति माह हुआ।
2025: वेतन ₹1,24,000 प्रति माह हुआ।
सांसदों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं और भत्ते
मुफ्त यात्रा: सांसदों को हवाई, रेल और सड़क यात्रा की मुफ्त सुविधा मिलती है। उनके परिवार के सदस्यों को भी सीमित यात्रा सुविधा प्रदान की जाती है।
आवास: दिल्ली में मुफ्त सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाता है।
संचार सुविधाएं: टेलीफोन, बिजली और पानी पर छूट मिलती है।
चिकित्सा सुविधाएं: सीजीएचएस अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
अन्य सुविधाएं: सरकारी गाड़ी, रिसर्च और स्टाफ असिस्टेंट की सुविधा, और संसद की कैंटीन में सब्सिडी वाली दरों पर भोजन उपलब्ध होता है।
सांसदों के वेतन और भत्तों में वृद्धि का निर्णय महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, यह विषय हमेशा से सार्वजनिक और राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि जनप्रतिनिधियों को उचित वेतन मिलना चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभावी ढंग से कर सकें, जबकि अन्य का तर्क है कि देश में आर्थिक असमानता और गरीबी को देखते हुए सांसदों के वेतन में वृद्धि पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
यह महत्वपूर्ण है कि सांसदों के वेतन और भत्तों में वृद्धि पारदर्शी तरीके से हो और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
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