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खूनी रोटियों का रहस्य

खूनी रोटियों का रहस्य



रक्तरंजित रोटियाँ एक भयावह रहस्य का पर्दाफाश
मैहर की देहात बस्ती, जहाँ रात के समय सन्नाटा पसरा रहता है। हल्की ठंडी हवा के झोंके पुराने पीपल के पत्तों को सरसराहट के साथ हिलाते हैं। दूर कहीं किसी कुत्ते की भयावह चीख उस रात के रहस्य की गवाही दे रही थी।
गुड्डा कोल की लाश जब पुलिस को मिली, तो चारों ओर भय का माहौल था। एक गरीब मजदूर, जो दिनभर मेहनत करके घर लौटता था, अचानक लहूलुहान हालत में मृत पाया गया। सिर पर गहरे घाव, और पास में कुछ अधजली रोटियाँ पड़ी थीं।
नगर पुलिस अधीक्षक का निरीक्षण
मैहर के नगर पुलिस अधीक्षक राजीव पाठक घटनास्थल पर पहुँचे। उन्होंने पूरे इलाके का सूक्ष्म निरीक्षण किया। खून के धब्बे ज़मीन पर बिखरे थे। लेकिन उनका ध्यान गया उन अधजली रोटियों पर, जिनमें खून के धब्बे थे।
“ये रोटियाँ यहाँ क्यों पड़ी हैं?” उन्होंने खुद से सवाल किया।

पुलिस दल ने उन रोटियों को उठाया और फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया। ये कोई आम चीज़ नहीं थी—ये उस खूनी रात का गवाह थीं।
माँ और बेटे की कहानी
गुड्डा की पत्नी फुलमतिया और बेटा रामलाल पहले बहुत सामान्य तरीके से व्यवहार कर रहे थे।
“हम तो सो रहे थे साहब, पता नहीं कौन आकर मार गया,” फुलमतिया ने रोते हुए कहा।
रामलाल ने भी माँ की बात दोहराई। परंतु पुलिस की तेज़ नज़रों ने उनकी घबराहट भाँप ली।
खूनी रोटियों का रहस्य
रिपोर्ट आई कि उन रोटियों पर जो खून लगा था, वह गुड्डा कोल का ही था। पुलिस ने माँ-बेटे को फिर से बुलाया।
“ये रोटियाँ कहाँ से आईं?”
इस बार दोनों चुप थे। उनके माथे से पसीना टपकने लगा।
जब कड़ाई से पूछताछ हुई तो रामलाल घबरा गया—
“हमने गुड्डा को मार डाला!”हत्या की रात
उस रात गुड्डा नशे में था। घर में झगड़ा हुआ। माँ-बेटे ने मिलकर उसे मौत के घाट उतारने की योजना बनाई।
रामलाल ने सिर पर बड़ा पत्थर दे मारा। खून बहने लगा। घर की मिट्टी लाल हो गई। फुलमतिया ने पास में रखी रोटियों से खून पोंछा और उन्हें जलाने की कोशिश की, ताकि सबूत मिटाया जा सके। लेकिन वो पूरी तरह जल नहीं पाईं और वही रोटियाँ सबसे बड़ा सुराग बन गईं।

500 मीटर दूर लाश फेंकने की साजि
गुड्डा की लाश को घसीटते हुए माँ-बेटे 500 मीटर दूर ले गए और जंगल में फेंक दिया। लेकिन रक्तरंजित रोटियाँ घर के पास ही छूट गईं, जो इस क्रूर हत्याकांड का राज खोलने के लिए काफी थीं।
पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। माँ-बेटे ने जो सोचा था कि कोई पकड़ नहीं पाएगा, वही अधजली रोटियाँ उनकी सबसे बड़ी गवाही बन गईं।

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(M.P.)

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