

ठेकेदारों की लापरवाही से बड़ा नुकसान: कोयला ट्रैक में गिरा, यात्री ट्रेनें बाधित
Dilip Kumar Soni Anuppur
अनूपपुर, बिजुरी रेलवे स्टेशन: बृहस्पतिवार, 20 फरवरी की सुबह बिजुरी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर एक गंभीर लापरवाही सामने आई, जिससे रेलवे परिचालन में बड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ। डोमन हिल चिरमिरी से बिरसिंहपुर पाली पावर प्लांट जा रही कोयले से भरी मालगाड़ी में अचानक तकनीकी गड़बड़ी हो गई, जिससे करीब 60 टन कोयला रेल ट्रैक पर बिखर गया। इस घटना से रेलवे यातायात बाधित हुआ, तीन यात्री ट्रेनों को बिजुरी स्टेशन से पहले ही रोक दिया गया, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
लापरवाही की पराकाष्ठा: कैसे हुआ हादसा?
मालगाड़ी के गार्ड डिब्बे से चौथे नंबर का बैगन अचानक खुल गया, जिससे भारी मात्रा में कोयला पटरियों पर गिर गया। इसी दौरान गार्ड डिब्बा भी ट्रैक से नीचे उतर गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यह घटना ठेकेदारों की लापरवाही का परिणाम थी। लोडिंग यार्ड से लेकर मालगाड़ी के प्रेषण तक की संपूर्ण जिम्मेदारी ठेका मजदूरों पर होती है, जिनमें से अधिकांश प्रशिक्षित नहीं होते। कोयला बैगनों की जांच, लोडिंग, लॉकिंग और डिस्पैच की प्रक्रिया में आवश्यक सावधानियां नहीं बरती गईं, जिसके कारण यह दुर्घटना घटी।




तकनीकी लापरवाही या लापरवाह सिस्टम?
रेलवे मालगाड़ियों में लगे गेट एयर प्रेशर सिस्टम से संचालित होते हैं, जिनका सही तरह से बंद होना अत्यंत आवश्यक होता है। लेकिन लोडिंग पॉइंट पर मात्र एक रेलवे कर्मी की उपस्थिति में यह कार्य पूरा किया जाता है। ठेका मजदूरों द्वारा बिना पर्याप्त ज्ञान के बैगनों को सील कर दिया गया, जिसके कारण दरवाजे ठीक से लॉक नहीं हुए और चलते समय खुल गए। यह गंभीर चूक न केवल कोयला गिरने का कारण बनी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकती थी।
रेलवे परिचालन पर असर: यात्रियों को झेलनी पड़ी परेशानी
इस घटना के कारण अंबिकापुर-जबलपुर इंटरसिटी ट्रेन लगभग एक घंटे की देरी से रवाना हुई, जबकि चिरमिरी-चंदिया और अंबिकापुर-निजामुद्दीन सुपरफास्ट ट्रेनें भी एक घंटे से अधिक विलंबित रहीं। स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल रहा, जहां यात्री ट्रेन संचालन में हो रही देरी से परेशान दिखे। रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों ने तत्काल जांच के बाद मालगाड़ी को आगे रवाना किया, लेकिन यात्री ट्रेनों की देरी से यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ी।


ठेकेदारों की मनमानी और रेलवे की उदासीनता
यह पहली बार नहीं है जब ठेका मजदूरों की लापरवाही के कारण रेलवे परिचालन बाधित हुआ हो। बिना किसी उचित प्रशिक्षण के मजदूरों को भर्ती कर रेलवे के महत्वपूर्ण कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे भविष्य में भी इसी तरह की घटनाएं दोहराने की आशंका बनी हुई है। लोडिंग पॉइंट पर रेलवे का केवल एक कर्मचारी मौजूद रहता है, जो संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी करने में असमर्थ रहता है। यह न केवल एक प्रबंधकीय विफलता है बल्कि रेलवे प्रशासन की गंभीर चूक को भी दर्शाता है।
भविष्य के लिए चेतावनी: ठोस कार्रवाई की जरूरत
इस घटना ने रेलवे सुरक्षा और प्रबंधन में मौजूद खामियों को उजागर कर दिया है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इससे भी गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं। रेलवे प्रबंधन को चाहिए कि वह ठेकेदारों की जवाबदेही तय करे, बिना प्रशिक्षण के मजदूरों की भर्ती पर रोक लगाए और मालगाड़ियों की लोडिंग प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित बनाए। साथ ही, इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि इस तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना सिर्फ कोयला गिरने तक सीमित नहीं है, बल्कि रेलवे के संपूर्ण ढांचे की कमजोरी और ठेकेदारों की गैर-जिम्मेदारी को दर्शाती है। अगर रेलवे प्रशासन ने अब भी आंखें मूंदे रखीं, तो आने वाले समय में यह लापरवाही किसी बड़ी आपदा का कारण बन सकती है।



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