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रीवा के चाकघाट में परीक्षा केंद्र पर धड़ल्ले से नकल, छात्रों ने ऑन कैमरा कबूला – पैसे देकर मिली छूट!

रीवा के चाकघाट में परीक्षा केंद्र पर धड़ल्ले से नकल, छात्रों ने ऑन कैमरा कबूला – पैसे देकर मिली छूट!

“नकल के सौदागर: 1500 में बिक रही शिक्षा, भोजमुक्त परीक्षा केंद्र बना खुलेआम नकल का अड्डा”
रीवा के चाकघाट स्थित नेहरू स्मारक कॉलेज में भोज ओपन यूनिवर्सिटी की परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां खुलेआम मोबाइल फोन से नकल करवाई जा रही थी, और इस पूरे गोरखधंधे के पीछे परीक्षा केंद्र प्रबंधन की मिलीभगत उजागर हुई है। इस सनसनीखेज मामले में छात्रों ने ऑन कैमरा कबूला कि उन्हें नकल की सुविधा देने के लिए 1000 से 1500 रुपये तक वसूले गए। शिक्षा माफियाओं की इस करतूत का वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं।
“1500 दो और पास हो जाओ” – शिक्षा के नाम पर खुलेआम सौदा!
मंगलवार को हुई परीक्षा का वीडियो बुधवार को सामने आया, जिसमें 60 से अधिक छात्र अपने मोबाइल फोन से उत्तर लिखते नजर आए। जब इन छात्रों से पूछा गया कि वे इतनी बेखौफ नकल कैसे कर रहे हैं, तो उन्होंने साफ कहा कि हर छात्र से 1000 से 1500 रुपये वसूले गए हैं, और इसके बदले में परीक्षा केंद्र ने नकल की पूरी छूट दी है। छात्रों ने यह भी बताया कि यहां हर साल इसी तरह से नकल कराई जाती है, और कॉलेज प्रशासन इस खेल में पूरी तरह शामिल है।
डॉ. गौहर हसन पर गंभीर आरोप, कॉलेज बना नकल का गढ़
छात्रों के बयान और वायरल वीडियो में परीक्षा केंद्र अध्यक्ष डॉ. गौहर हसन की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। उन पर परीक्षा में नकल करवाने और इसके बदले पैसे वसूलने के आरोप लगे हैं। स्थानीय छात्रों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है – इस परीक्षा केंद्र पर वर्षों से नकल का खेल चल रहा है, लेकिन प्रशासन अब तक आंख मूंदे बैठा था।
शिक्षा विभाग जागा, जांच के आदेश लेकिन क्या होगा बदलाव?
रीवा के उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा,
“यह बेहद गंभीर मामला है। जांच करवाई जाएगी, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या यह जांच भी सिर्फ कागजों में सीमित रह जाएगी, या फिर इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचकर दोषियों को सजा दिलाई जाएगी?
नकल माफिया: जहां मेहनत नहीं, पैसे से मिलती है डिग्री!
शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले कॉलेजों में इस तरह की घटनाएं न केवल शिक्षा प्रणाली को कलंकित कर रही हैं, बल्कि मेहनती और योग्य छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही हैं। जब एक ओर लाखों छात्र ईमानदारी से पढ़ाई कर परीक्षा की तैयारी करते हैं, वहीं दूसरी ओर पैसे देकर नकल कराने की व्यवस्था पूरी शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।
अब क्या होगा? प्रशासन के सामने बड़ी चुनौत क्या शिक्षा की साख बचा पाएगा प्रशासन?
रीवा के चाकघाट का यह मामला सिर्फ एक परीक्षा केंद्र की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की गिरती साख का एक उदाहरण है। अगर अब भी प्रशासन ने आंखें मूंदे रखीं, तो आने वाले समय में “डिग्री के लिए पढ़ाई” का महत्व खत्म हो जाएगा, और “डिग्री के लिए पैसे” का दौर चल निकलेगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा, या फिर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करके शिक्षा की साख को बचाने की कोशिश की जाएगी।

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