
एक परीक्षा, एक असफलता और एक अनजान सफर…
चमचमाती किताबों के पन्नों में भविष्य की कहानियाँ लिखी जाती हैं, लेकिन कभी-कभी एक अधूरी परीक्षा, कुछ बिगड़े हुए अंक, और समाज का डर, किसी किशोर के मन पर इतना भारी पड़ता है कि वे खुद को अकेला और असहाय महसूस करने लगते हैं।
17 वर्षीय नाबालिग लड़की, जो जयसिंहनगर, जिला शहडोल की रहने वाली थी, एक दिन अचानक लापता हो गई। उसे नहीं पता था कि वह कहाँ जा रही है, बस मन में एक ही डर था—”अगर मैं परीक्षा में असफल हो गई, तो मेरे माता-पिता, मेरे शिक्षक, मेरे दोस्त…सब क्या कहेंगे?”
मन में उमड़ते-घुमड़ते सवालों के बीच वह घर से निकल गई, अपने डर से दूर जाने के लिए। कदम अनजाने रास्तों पर बढ़ रहे थे, और वह धीरे-धीरे एक ऐसी अनिश्चित दिशा में जा रही थी, जहाँ न तो उसे खुद का पता था, न मंज़िल का।


बस स्टैंड पर एक मूक चीख— अनूपपुर पुलिस की चौकस नजर
शुक्रवार की सुबह अनूपपुर बस स्टैंड पर कोतवाली अनूपपुर पुलिस के आरक्षक कपिल सोलंकी और अमित यादव गश्त पर थे। रोज़ की तरह लोग आते-जाते दिख रहे थे, लेकिन उनके अनुभवी निगाहों ने कुछ ऐसा देखा जो सामान्य नहीं था।
एक नाबालिग लड़की, अकेली, असमंजस में डूबी, किसी अनजान डर के बोझ से झुकी हुई खड़ी थी। उसके हाव-भाव किसी खोए हुए परिंदे की तरह लग रहे थे, जिसे अपना घोंसला तो याद था, पर लौटने की राह नहीं मिल रही थी।
आरक्षकों ने तुरंत स्थिति को भांपते हुए उससे संवाद करने की कोशिश की। घबराई हुई उस लड़की ने पहले कुछ नहीं कहा, लेकिन पुलिस की आत्मीयता ने धीरे-धीरे उसकी चुप्पी तोड़ दी। वह रोने लगी, उसके अंदर की जमी हुई भावनाएँ बहने लगीं।
“बेटा, घबराओ मत, तुम अब सुरक्षित हो”
आरक्षकों ने तत्काल सूचना महिला उपनिरीक्षक सरिता लकड़ा और महिला आरक्षक कविता विकल को दी। लड़की को महिला डेस्क लाकर स्नेह और समझदारी से उसकी स्थिति को समझने का प्रयास किया गया।
थोड़ी देर बाद जब वह सहज हुई, तब उसने बताया कि वह कक्षा 11वीं की जीवविज्ञान (बायोलॉजी) परीक्षा खराब हो जाने के कारण डिप्रेशन में आकर घर छोड़कर निकल गई थी। उसका आत्मविश्वास पूरी तरह डगमगा चुका था और उसे लगने लगा था कि वह अब किसी को मुँह नहीं दिखा सकती।
इस बीच, थाना जयसिंहनगर, जिला शहडोल में पहले ही उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अनूपपुर पुलिस की सतर्कता ने उसकी सुरक्षित वापसी का रास्ता खोल दिया था।

“बिटिया, अब चिंता मत करो, तुम अपने माता-पिता के पास लौट रही हो”
कोतवाली अनूपपुर के थाना प्रभारी अरविंद जैन को जब इस घटना की सूचना मिली, तो उन्होंने तुरंत थाना जयसिंहनगर पुलिस और बालिका के परिजनों से संपर्क किया। कुछ ही घंटों में, लड़की के माता-पिता और जयसिंहनगर पुलिस टीम अनूपपुर कोतवाली पहुँच गए।
बालिका को देखते ही उसकी माँ ने उसे गले से लगा लिया। पिता की आँखों में आँसू छलक आए। बेटी भी फफक कर रो पड़ी, मानो सारे डर, सारी चिंताएँ अब समाप्त हो गई हों।
“बिटिया, अब चिंता मत करो, तुम अपने माता-पिता के पास लौट रही हो,” टीआई अरविंद जैन ने स्नेहपूर्वक कहा।
पुलिस अधीक्षक मोती ऊर रहमान ने परिजनों को समझाया कि परीक्षा का परिणाम जीवन का अंत नहीं होता। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाएं और यह विश्वास दिलाएं कि कोई भी परीक्षा इतनी बड़ी नहीं कि उसे असफल होने पर जीवन त्यागना पड़े।

“असफलता नहीं, नया अवसर है”— एक संदेश हर छात्र और अभिभावक के लिए
अनूपपुर पुलिस अधीक्षक मोती ऊर रहमान ने इस अवसर पर एक विशेष अपील की
✅ माता-पिता और शिक्षकों के लिए संदेश
अपने बच्चों को समझाएं कि परीक्षा जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है, यह उनकी पूरी काबिलियत का मापदंड नहीं है।
बच्चों के साथ संवाद बनाए रखें, उनके मनोभावों को समझें।
असफलता से घबराने के बजाय उसमें सुधार की गुंजाइश देखें।
बच्चों को प्यार दें, दवाब नहीं।
✅ छात्रों के लिए संदेश
एक परीक्षा आपकी जिंदगी का फैसला नहीं कर सकती।
कठिन समय में अपने माता-पिता, शिक्षकों या दोस्तों से बात करें।
अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें, जरूरत हो तो काउंसलिंग लें।
हर दिन एक नया मौका होता है—”हार मत मानो, कोशिश जारी रखो।”
जब पुलिस सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि उम्मीद की किरण बन जाए…
अनूपपुर पुलिस की यह कार्रवाई सिर्फ एक बालिका को सुरक्षित घर पहुँचाने की घटना नहीं थी। यह उन हजारों बच्चों के लिए एक प्रेरणादायक संदेश थी जो परीक्षा के तनाव में घिर जाते हैं और अपनी काबिलियत पर संदेह करने लगते हैं।
टीआई अरविंद जैन और उनकी टीम ने सिर्फ एक बच्ची को उसके माता-पिता से नहीं मिलाया, बल्कि एक परिवार की टूटती हुई उम्मीद को भी बचा लिया। अनूपपुर पुलिस अधीक्षक मोती ऊर रहमान ने साबित किया कि पुलिस का काम सिर्फ अपराध रोकना नहीं, बल्कि समाज को सहारा देना और हर नागरिक को यह विश्वास दिलाना भी है कि वह अकेला नहीं है।
“अंधेरे से उजाले तक का सफर…अनूपपुर पुलिस के साथ”
अगर आप भी कभी निराशा में घिर जाएं, तो याद रखें—हर अंधेरा स्थायी नहीं होता, और हर असफलता एक नए सफर की शुरुआत होती है।
क्योंकि जीवन एक परीक्षा से कहीं बड़ा है…



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