

गोवा, 12 फरवरी – भारत में बढ़ती पूंजीवादी नीतियों और श्रमिक-विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने संघर्ष तेज़ करने का ऐलान किया है। सोमवार को गोवा के रविंद्र भवन में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक संपन्न हुई, जिसमें पूर्व सांसद एवं AITUC के राष्ट्रीय अध्यक्ष कॉमरेड रमेन्द्र कुमार, कॉमरेड विद्यासागर गिरी, कॉमरेड के. पी. राजेन्द्रन और कॉमरेड हरिद्वार सिंह जैसे प्रमुख नेता शामिल रहे।
बैठक के दौरान AITUC की राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड अमरजीत कौर ने भारत में आर्थिक असमानता पर चिंता जताते हुए कहा कि देश में पूंजीपतियों की संपत्ति 23% बढ़ रही है, जबकि मेहनतकश जनता की आमदनी महज़ 2% बढ़ी है। उन्होंने हाल ही में अमेरिका से प्रत्यर्पित 106 भारतीय नागरिकों को हथकड़ी लगाकर लाने की घटना की निंदा की, जिनमें से 36 गुजराती थे।
कॉमरेड कौर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वैश्विक आर्थिक नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका का यह भ्रम कि वह आर्थिक दबाव डालकर दुनिया को झुका सकता है, खतरनाक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में गौतम अडानी पर दर्ज अमेरिकी मुकदमे से जुड़े सवाल पर उनकी असहज प्रतिक्रिया को भी रेखांकित किया।
श्रमिक नीतियों पर केंद्र सरकार को चुनौती
कॉमरेड कौर ने केंद्र सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2025 से चार नए लेबर कोड लागू करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि यह श्रमिकों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि सरकार आज तक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दोगुना करने की मांग नहीं मान सकी, जबकि कॉर्पोरेट जगत को भारी रियायतें दी जा रही हैं। उन्होंने केंद्रीय बजट को भी किसान और मजदूर विरोधी करार देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है।
बैठक में लेबर कोड को लागू न करने, न्यूनतम मजदूरी ₹41,000 प्रतिमाह करने और पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने के प्रस्ताव पारित किए गए। कॉमरेड कौर ने स्कीम वर्कर्स को ईएसआई (ESI) के दायरे में लाने और उन्हें महंगाई भत्ता जोड़कर उचित मानदेय देने की मांग की।
18 मार्च को राष्ट्रव्यापी आंदोलन का शंखनाद
AITUC और 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने मिलकर 18 मार्च को दिल्ली में एक राष्ट्रीय कन्वेंशन आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया जाएगा। इस आंदोलन का उद्देश्य श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना और सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़ना होगा।
AITUC के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कॉमरेड हरिद्वार सिंह ने बैठक के बाद कहा, “इस सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ लड़कर ही किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा की जा सकती है।”
18 मार्च का यह आंदोलन भारत में श्रमिकों और किसानों के लिए एक नए संघर्ष का संकेत दे रहा है, जो केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए तैयार हैं।



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