
अनूपपुर | अगर आपको लगता है कि बिजली विभाग का काम सुचारू रूप से चल रहा है, तो जैतहरी जाकर देखिए! यहां कनिष्ठ अभियंता (JE) उमेश कुमार गुप्ता ने पूरे कार्यालय को अपनी निजी जागीर बना लिया है। अधीनस्थ कर्मचारी परेशान हैं, कामकाज ठप है, और भ्रष्टाचार की गूंज पूरे जिले में सुनाई दे रही है। यह हम नहीं कह रहे उन्हीं के कर्मचारी कह रहे हैं।
JE का ‘तानाशाह फरमान’ – कर्मचारियों की नौकरी से खेल
कर्मचारियों का आरोप है कि उमेश गुप्ता अपने पद का दुरुपयोग कर लगातार कर्मचारियों को अपमानित कर रहे हैं। गाली-गलौज करना, मानसिक प्रताड़ना देना और “मेरे हिसाब से नहीं चले तो नौकरी से निकाल दूँगा” जैसी धमकियाँ देना, उनके लिए आम बात हो गई है। बिजली कर्मचारी अब डर के माहौल में काम करने को मजबूर हैं।
तार गायब, पोल गायब, और अब कागज़ात भी जल गए!
JE साहब की कारगुजारियाँ सिर्फ गाली-गलौज तक सीमित नहीं हैं। “स्टोर में जो भी रखा था, अब बस यादों में बचा है!” कर्मचारियों का आरोप है कि महंगे बिजली के तार, ट्रांसफार्मर, केबल और अन्य सामग्री को JE साहब ने अवैध रूप से बेच दिया। इधर उपभोक्ता बिजली गुल होने पर शिकायत करते रहे, उधर सरकारी सामान बाजार में बिकता रहा!
रहस्य तो तब गहरा गया जब 26 जनवरी को सफाई के नाम पर महत्वपूर्ण उपभोक्ता रजिस्टर और दस्तावेजों को ही आग के हवाले कर दिया गया। अब सवाल यह है कि क्या ये सफाई थी या भ्रष्टाचार छुपाने की चाल?
पीसीसी पोल भी हुए ‘निजी उपयोग’ में शामिल!
विद्युत कर्मियों का आरोप है कि सरकारी पोल, जो गाँवों में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए आए थे, निजी उपयोग में बेच दिए गए। अब उपभोक्ता बिजली के अभाव में बैठे हैं और पोल किसी के खेत की बाड़ बन गए हैं!
कोतमा, जैतहरी, फुनगा और पुष्पराजगढ़ तक गूँज रही हैं शिकायतें
JE साहब की कार्यशैली का विरोध सिर्फ जैतहरी तक सीमित नहीं रहा। कोतमा, अनूपपुर, फुनगा और पुष्पराजगढ़ तक के विद्युत कर्मी उनके खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। सोमवार को अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन सौंपते हुए कर्मचारियों ने JE के तत्काल स्थानांतरण और कड़ी कार्रवाई की माँग की है।
बिजली से ज्यादा ‘भ्रष्टाचार’ चमक रहा है!
विद्युत मंडल का मरम्मत कार्य हो या नई सामग्री की खरीददारी, हर जगह भ्रष्टाचार ही चमक रहा है। उपभोक्ता शिकायत करें तो सुनवाई नहीं होती, मरम्मत का पैसा जनता देती है और उपभोक्ता परेशान होता हैं।
अब देखना ये है कि ऊपर बैठे अधिकारी इस ‘बिजली साम्राज्य के स्वघोषित मालिक’ पर कार्रवाई करते हैं या फिर यह तानाशाही यूँ ही चलती रहेगी?



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