

नर्मदा नदी, जिसे ‘मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा’ कहा जाता है, मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक पठार से निकलती है और पश्चिम की ओर बहते हुए लगभग 1,312 किलोमीटर की दूरी तय करके गुजरात में खंभात की खाड़ी में मिलती है।
नर्मदा नदी का मार्ग और इसके तटवर्ती शहर
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है। इसकी कुल लंबाई 1,312 किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 1,079 किलोमीटर मध्य प्रदेश में बहती है। नर्मदा बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 98,796 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें लगभग 86% मध्य प्रदेश, 11% गुजरात, 2% महाराष्ट्र और 1% छत्तीसगढ़ में आता है।
नर्मदा नदी के किनारे कई महत्वपूर्ण शहर बसे हैं, जिनमें जबलपुर, होशंगाबाद (नर्मदापुरम), ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडला, और भरूच प्रमुख हैं। ये शहर नर्मदा नदी के जल का उपयोग पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक कार्यों के लिए करते हैं।
नर्मदा नदी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
नर्मदा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि नर्मदा की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालु नर्मदा की लगभग 2,600 किलोमीटर की परिक्रमा करते आ रहे हैं, जो एक संकल्प है और नदी तथा प्रकृति से आत्मीयता का प्रतीक है।
अमरकंटक, जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां नर्मदा जयंती के अवसर पर भव्य नर्मदा महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें धर्म, संस्कृति, आस्था और पारंपरिक कला के साथ-साथ योग, ध्यान, और एडवेंचर खेलों का समागम होता है।












अमरकंटक का भौगोलिक और प्राकृतिक सौंदर्य
अमरकंटक मैकल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है, जो विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं को जोड़ता है। यह समुद्र तल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और घने जंगलों, सुंदर पहाड़ियों, और विविध वनस्पतियों से घिरा हुआ है। यहां का सूर्योदय बिंदु (सनराइज पॉइंट) विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां से उगते सूरज का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। सर्दियों में यहां की ठंड कड़कड़ाती होती है, और सुबह-सुबह चहचहाते पक्षियों की मधुर ध्वनि वातावरण को और भी सुरम्य बना देती है।
अमरकंटक में जीवाश्म और भूवैज्ञानिक इतिहास
अमरकंटक क्षेत्र में भूवैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जीवाश्म पाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र के प्राचीन समुद्री इतिहास की ओर संकेत करते हैं। हालांकि, इस विषय पर विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है।
नर्मदा महोत्सव और प्रशासनिक उत्साह
हर वर्ष नर्मदा जयंती के अवसर पर अमरकंटक में नर्मदा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी 3 से 5 फरवरी तक तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें धर्म, संस्कृति, योग, ध्यान, और एडवेंचर गतिविधियों का समावेश होगा।

अनूपपुर जिला प्रशासन, विशेषकर कलेक्टर हर्षल पंचोली, इस महोत्सव के सफल आयोजन के प्रति अत्यंत उत्साहित हैं और उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है।
नर्मदा नदी न केवल एक भौगोलिक धारा है, बल्कि यह मध्य भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, और आर्थिक जीवनरेखा भी है। अमरकंटक का प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक महत्व, और नर्मदा महोत्सव जैसे आयोजन इसे एक विशिष्ट स्थान बनाते हैं। जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय के संयुक्त प्रयासों से यह क्षेत्र निरंतर विकास की ओर अग्रसर है, और आने वाले वर्षों में इसकी महत्ता और भी बढ़ेगी।



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