


सूडान में जारी गृहयुद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के कारण हजारों लोग अपने घरों और परिवारों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में मजबूर हो गए हैं। लीबिया, जो खुद राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा से ग्रस्त है, इन शरणार्थियों के लिए आश्रय स्थल बना है। लेकिन यह आश्रय भी सुरक्षित नहीं है। सूडानी शरणार्थियों को वहां दुर्व्यवहार, असुरक्षा और मानव तस्करी जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लायला, अपने पति और छह बच्चों के साथ लीबिया में शरण लेने वाली ऐसी ही एक महिला हैं, जो हर दिन असुरक्षा और भय के साये में जीने को मजबूर हैं।
यह रिपोर्ट लीबिया में शरण लेने वाले सूडानी परिवारों की कठिनाइयों और उनके वर्तमान जीवन की वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास है।
सूडान से भागकर लीबिया पहुंचे शरणार्थियों का दर्द
सूडान में गृहयुद्ध और हिंसा के कारण हजारों लोग अपने देश को छोड़ने को मजबूर हुए। लायला, जो अपने परिवार के साथ सूडान से भागकर लीबिया पहुंची हैं, बताती हैं, “हम डर के साये में रहते हैं। हर समय हमें यह चिंता सताती है कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए।” वे यह बात फोन पर धीमी आवाज़ में बताती हैं, ताकि आसपास के लोग न सुन सकें।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, लीबिया में सूडानी शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2024 की शुरुआत से हर दिन करीब 400 सूडानी लीबिया पहुंच रहे हैं, जिससे शरणार्थियों की कुल संख्या 2,10,000 से अधिक हो चुकी है।
लीबिया में शरणार्थियों के लिए चुनौतियां
लीबिया ने 1951 के शरणार्थी कन्वेंशन और 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे शरणार्थियों को कानूनी अधिकार नहीं मिलते। इसका परिणाम यह है कि लीबिया में शरणार्थियों को किसी प्रकार की कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। शरणार्थी हिंसा, दुर्व्यवहार और मानव तस्करी के खतरे में जीते हैं।
महिलाओं और बच्चों को विशेष रूप से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लायला जैसी महिलाएं हमेशा यौन शोषण और हिंसा के डर में रहती हैं। उनके बच्चे भी बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा, चिकित्सा और भोजन से वंचित हैं।
मानव तस्करी और शोषण
लीबिया यूरोप जाने के इच्छुक प्रवासियों के लिए एक प्रमुख मार्ग बन गया है। लेकिन यहां शरणार्थियों को मानव तस्करी और शोषण का शिकार होना पड़ता है।
मई 2019 में, मिस्र ने 33 सूडानी शरणार्थियों को लीबिया पहुंचने से पहले ही रोक दिया।
2023 में, लीबिया के समुद्री तट पर यूरोप जाने की कोशिश कर रहे करीब 500 प्रवासियों को हिरासत में लिया गया। इनमें सूडानी, सोमालियाई और सीरियाई शरणार्थी शामिल थे।




महिलाओं और बच्चों की स्थिति
यूनिसेफ ने लीबिया में बच्चों की सहायता के लिए 1.5 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया है। इसका उद्देश्य 19,000 बच्चों को शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना है। लेकिन लीबिया की अस्थिर स्थिति और सीमित संसाधनों के कारण यह सहायता पर्याप्त नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सहायता
ब्रिटेन ने लीबिया के दुर्गम क्षेत्रों में सूडानी शरणार्थियों की सहायता के लिए धन उपलब्ध कराया है।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठन लगातार शरणार्थियों के लिए सहायता जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
सूडानी शरणार्थियों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की स्थिति अत्यंत गंभीर है। वे असुरक्षा, शोषण और अनिश्चितता के बीच जीने को मजबूर हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन शरणार्थियों की सुरक्षा और सहायता के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। लायला जैसी महिलाएं और उनके परिवार एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन के हकदार हैं।
शरणार्थी संकट एक वैश्विक समस्या है। इसके समाधान के लिए सभी देशों और संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि पीड़ितों को एक बेहतर भविष्य मिल सके।



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