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एक ही घर से निकलीं दो प्रशासनिक ध्वजवाहक अदिति बनीं कौशल अधिकारी, प्राजंलि संभालेंगी महिला विकास की कमान

एक ही घर से निकलीं दो प्रशासनिक ध्वजवाहक अदिति बनीं कौशल अधिकारी, प्राजंलि संभालेंगी महिला विकास की कमान

शहडोल की दो बहनों का स्वर्णिम अध्याय अदिति और प्राजंलि मर्सकोले ने MPPSC में रचा इतिहास
कभी-कभी कुछ उपलब्धियां इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाती हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत बन जाती हैं। ऐसी ही एक गाथा शहडोल की धरती पर लिखी गई है, जहां अदिति और प्राजंलि मर्सकोले नाम की दो बहनों ने अपने अद्वितीय परिश्रम, अडिग धैर्य और अविस्मरणीय सफलता से न केवल अपने परिवार, बल्कि समूचे समाज को गर्वित किया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की प्रतिष्ठित परीक्षा में इन दोनों बहनों ने अपनी योग्यता का परचम लहराते हुए यह सिद्ध कर दिया कि बेटियां भी हर वह ऊंचाई छू सकती हैं, जिसे कभी असंभव समझा जाता था ।एक साधारण परिवार की असाधारण कहानी
गुलाब सिंह मर्सकोले, जो शहडोल के संभागीय कार्यालय में सहायक संचालक, जनसंपर्क विभाग के पद पर पदस्थ रहे, ने अपने साधारण जीवन में असाधारण संस्कारों की नींव रखी। उनके इस समर्पण और पारिवारिक मूल्यों का परिणाम है उनकी बेटियां अदिति और प्राजंलि मर्सकोले, जिन्होंने अपने अनुकरणीय परिश्रम से न केवल एमपीपीएससी परीक्षा में सफलता पाई, बल्कि नए मानक स्थापित किए।
सफलता का सवेरा
इस साल की एमपीपीएससी परीक्षा में अदिति मर्सकोले का चयन सहायक कौशल अधिकारी के रूप में हुआ है, जबकि उनकी बड़ी बहन प्राजंलि मर्सकोले ने सहायक संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग का पद प्राप्त किया है। प्राजंलि पहले भी सहायक पेंशन अधिकारी के रूप में जिला सिवनी में कार्यरत थीं, लेकिन उन्होंने इस बार अपनी क्षमताओं को और अधिक निखारते हुए सफलता के उच्चतम सोपान पर कदम रखा।
मर्सकोले परिवार की यह यात्रा संघर्ष और संकल्प का अद्भुत मिश्रण है। गुलाब सिंह मर्सकोले ने अपनी बेटियों को न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी बाधा पार की जा सकती है। अदिति और प्राजंलि ने पिता के इन संस्कारों को आत्मसात करते हुए अपने सपनों को साकार किया।
समाज में उल्लास और गर्व
शहडोल के प्रशासनिक और सामाजिक क्षेत्रों में इस उपलब्धि की गूंज सुनाई दे रही है। अदिति और प्राजंलि की सफलता ने पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। जिले के प्रमुख अधिकारी, समाजसेवी और नागरिक मर्सकोले परिवार को बधाई देने पहुंचे। उनकी इस सफलता ने समाज में बेटियों के प्रति सोच को बदलने का एक मजबूत संदेश दिया ।
बेटियों का आत्मविश्वास नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
अदिति और प्राजंलि का यह कहना कि “सपने देखना जितना महत्वपूर्ण है, उन्हें पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना उससे भी अधिक आवश्यक है,” एक ऐसी सीख है जो हर युवा के लिए प्रेरणादायक है। उनकी मेहनत, लगन और धैर्य ने यह साबित कर दिया कि यदि प्रयास सच्चे हों, तो लक्ष्य अवश्य प्राप्त होता है।
परिवार और समाज के लिए संदेश
यह सफलता केवल मर्सकोले परिवार की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह समाज के उन सभी परिवारों के लिए एक संदेश है, जो बेटियों को केवल एक सीमित दायरे में देखना चाहते हैं। अदिति और प्राजंलि ने यह दिखाया है कि बेटियां यदि संकल्प लें, तो वे हर वह क्षेत्र छू सकती हैं, जो कभी केवल पुरुषों का गढ़ समझा जाता था।
अदिति और प्राजंलि मर्सकोले की सफलता ने न केवल शहडोल को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह मध्य प्रदेश और देश भर में बेटियों की असीम क्षमताओं का प्रतीक बन गई है। उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा, मेहनत और समर्पण के बल पर हर सपने को साकार किया जा सकता है।
उज्ज्वल भविष्य की ओर
इस शानदार उपलब्धि के बाद, मर्सकोले परिवार को बधाईयों का तांता लगा हुआ है। अदिति और प्राजंलि ने न केवल एक इतिहास रचा है, बल्कि एक नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का दीप प्रज्वलित किया है। उनकी यह यात्रा यह संदेश देती है कि बेटियों को सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो वे दुनिया का हर शिखर फतह कर सकती हैं।
अदिति और प्राजंलि मर्सकोले की यह सफलता न केवल उनके परिवार की शान है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देती है कि बेटियों के सपने केवल उनके नहीं होते, बल्कि वे एक पूरे समाज को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाते हैं।

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