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मध्य प्रदेश में निवेश प्रस्ताव गैर-बाध्यकारी, वास्तविकता में बदलने की चुनौती

मध्य प्रदेश में निवेश प्रस्ताव गैर-बाध्यकारी, वास्तविकता में बदलने की चुनौती

मध्य प्रदेश सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है, जिसमें निवेश प्रस्तावों को गैर-बाध्यकारी बनाना शामिल है। इससे निवेशक बिना किसी कानूनी कार्रवाई के अपने प्रस्ताव वापस ले सकते हैं। हालांकि, इस नीति का दीर्घकालिक प्रभाव निवेश संभावनाओं पर नकारात्मक हो सकता है, क्योंकि पूर्व में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और रोड शो में करोड़ों के निवेश प्रस्ताव मिले, लेकिन उनमें से कुछ ही धरातल पर उतरे हैं।
शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में निवेश प्रयास
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में कई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित की गईं। उदाहरण के लिए, 2016 में इंदौर में आयोजित समिट में ब्रिटेन के मंत्री आलोक शर्मा ने भाग लिया, जो राज्य में निवेश के प्रति अंतर्राष्ट्रीय रुचि को दर्शाता है।  हालांकि, इन सम्मेलनों में बड़े निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, लेकिन वास्तविक निवेश और रोजगार सृजन में अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में निवेश प्रयास
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद, निवेश आकर्षित करने के लिए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और विदेश दौरों का आयोजन किया गया। उज्जैन में आयोजित सम्मेलन में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।  इसके अतिरिक्त, फरवरी 2025 में भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने की योजना है, जिसमें जापान को कंट्री पार्टनर बनाया गया है।
निवेश और खर्च का विश्लेषण
मध्य प्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और अन्य निवेश आकर्षण कार्यक्रमों पर महत्वपूर्ण धनराशि खर्च की है। हालांकि, प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से कितने वास्तविक निवेश में परिवर्तित हुए, इस पर सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में आयोजित समिट में 15 लाख 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।  हालांकि, वास्तविक निवेश और रोजगार सृजन के आंकड़े सीमित हैं, जो निवेशकों की प्रतिबद्धता और सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार के निवेश आकर्षण प्रयासों ने बड़े पैमाने पर निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए हैं, लेकिन उन्हें वास्तविकता में बदलने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। निवेश प्रस्तावों को गैर-बाध्यकारी बनाने से निवेशकों को लचीलापन मिलता है, लेकिन यह नीति निवेश की स्थिरता और विश्वसनीयता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। भविष्य में, सरकार को निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने और प्रस्तावित निवेशों को वास्तविकता में बदलने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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