
पहलगाम नरसंहार की दहशत और दिल्ली से कार्रवाई तक
पहलगाम, जम्मू-कश्मीर
“धर्म बताओ!”—ये वो आखिरी शब्द थे जो बचे यात्रियों ने सुने।
22 अप्रैल की दोपहर, बर्फ से ढकी पहलगाम की घाटी में चीखों ने पहाड़ों की नीरवता तोड़ी। एक सैलानी मिनीबस जो माता की दर्शन से लौट रही थी, उस पर अचानक 4-6 आतंकियों ने हमला किया। चश्मदीदों ने बताया, “उन्होंने सबको नीचे उतारकर धर्म पूछा, और फिर जिन्हें हिन्दू पाया उन्हें बेरहमी से गोलियों से भून डाला।”
जहाँ एक ओर फूलों से सजी घाटी पर्यटकों से गुलजार थी, वहीं सड़क पर खून से लथपथ शव और चीखते लोग दिख रहे थे। घायलों को नज़दीकी PHC पहलगाम और फिर श्रीनगर ले जाया गया। 28 मौतें, 20 गंभीर घायल, यह सिर्फ आँकड़ा नहीं, हर एक परिवार की तबाही है।

आल इंडिया टैक्सी यूनियन ने घोषणा की है कि कश्मीर में आने वाले प्रत्येक पीड़ित या उनके परिजन को मुफ्त परिवहन सेवा दी जाएगी।
सुरक्षा एजेंसियों का रवैया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रात में आपातकालीन उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। NSA, RAW, IB और CRPF के निदेशकों ने ग्राउंड इनपुट्स साझा किए। घाटी में ऑपरेशन ट्रिगर हंट शुरू हुआ, जिसमें संभावित संदिग्धों की धरपकड़ तेज कर दी गई है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मौके पर पहुंचे
घटनास्थल पर पहुंचे उपराज्यपाल ने कहा, “ये मानवता के खिलाफ युद्ध है। दोषियों को ज़िंदा नहीं छोड़ा जाएगा।” उन्होंने प्रत्येक पीड़ित परिवार को ₹20 लाख की मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया।


आतंकी संगठन TRF की जिम्मेदारी और चेतावनी
TRF ने ऑनलाइन जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला “डोमेसाइल पॉलिसी के खिलाफ” था। TRF का आरोप है कि कश्मीर में 85,000 गैर-मुस्लिमों को बसाकर जनसंख्या संतुलन बदला जा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
बीजेपी ने इसे “नव उदारवाद के नाम पर चल रहे शांतिपूर्ण भारत के खिलाफ जंग” बताया।
विपक्ष, खासकर राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि “इनकी सोच और सहानुभूति” ने TRF जैसे संगठनों को हवा दी।
असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं की चुप्पी को सोशल मीडिया पर घेरा गया।
जन आक्रोश और एकता
दिल्ली, भोपाल, पुणे, जयपुर में कैंडल मार्च और मौन जुलूस निकाले गए।
सोशल मीडिया पर #JusticeForPahalgamVictims ट्रेंड करने लगा।
कश्मीर में रहने वाले युवाओं ने आतंकवाद के खिलाफ रैली निकाली, जिसमें बैनर था “कश्मीर हमारा है, आतंक नहीं।”
पहलगाम का यह नरसंहार दर्शाता है कि आतंकी सोच अब सिर्फ गन नहीं, धर्म आधारित हिंसा के हथियार से भारत को तोड़ना चाहती है। लेकिन जिस तरह से पीड़ितों की मदद के लिए पूरा देश एकजुट हुआ, उससे साफ है कि भारत न झुकेगा, न रुकेगा।



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