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अवैध सोने की खदान में 100 मजदूरों की मौत भूख और प्यास से हुआ जीवन का अंत

अवैध सोने की खदान में 100 मजदूरों की मौत भूख और प्यास से हुआ जीवन का अंत



स्टिलफोंटेन (दक्षिण अफ्रीका)
दक्षिण अफ्रीका के स्टिलफोंटेन शहर के पास बफेल्सफोंटेन स्थित सोने की अवैध खदान में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। इस घटना में लगभग 100 मजदूरों की भूख और प्यास से मौत हो गई। ये मजदूर कई महीनों से खदान में फंसे हुए थे और अपनी जान बचाने की कोशिश में संघर्ष कर रहे हैं।
यह खदान बफेल्सफोंटेन इलाके में स्थित है, जो लंबे समय से अवैध खनन गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां फंसे मजदूर मुख्य रूप से ज़िम्बाब्वे, मोज़ाम्बिक और लेसोथो जैसे पड़ोसी देशों के अप्रवासी थे, जो बेहतर जीवन की तलाश में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि ये मजदूर खदान में फंसे होने के दौरान महीनों तक बिना भोजन और पानी के संघर्ष करते रहे।
जब स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियों ने खदान में फंसे मजदूरों को बचाने का प्रयास शुरू किया, तो उन्हें मालूम हुआ कि अधिकांश मजदूरों की मौत भूख और प्यास के कारण हो चुकी थी। कई शवों को खदान से बाहर निकाला गया, लेकिन उनकी हालत इतनी खराब थी कि पहचान करना मुश्किल हो गया।
अवैध खनन की समस्या
दक्षिण अफ्रीका, जो सोने और अन्य खनिजों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लंबे समय से अवैध खनन की समस्या से जूझ रहा है। गरीब देशों के अप्रवासी मजदूर, जो रोज़गार की तलाश में आते हैं, अक्सर इन खतरनाक खदानों में काम करने को मजबूर हो जाते हैं। ये खदानें न तो सुरक्षा मानकों का पालन करती हैं और न ही इन मजदूरों को किसी प्रकार का कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है।
कैसे हुआ यह हादसा?
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, यह खदान पहले से ही बंद थी और इसे सरकार द्वारा खतरनाक घोषित किया गया था। इसके बावजूद, अवैध खनन गतिविधियां जारी थीं। खदान के अंदर हवा, पानी, और भोजन की कोई व्यवस्था नहीं थी। मजदूर गहरे सुरंगों में फंस गए थे, जहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।मौत का कारण
राहत कार्यों में लगे अधिकारियों ने बताया कि मजदूरों की मौत का प्रमुख कारण भूख और प्यास था। महीनों तक बिना पर्याप्त भोजन और पानी के रहने के कारण उनकी सेहत बुरी तरह खराब हो चुकी थी। खदान के भीतर की विषम परिस्थितियों, जैसे ऑक्सीजन की कमी और जहरीली गैसों की उपस्थिति, ने उनकी मौत में अहम भूमिका निभाई।
प्रशासन की विफलता
यह घटना प्रशासन की विफलता को भी उजागर करती है। स्थानीय प्रशासन इन अवैध खनन गतिविधियों पर लगाम लगाने में पूरी तरह असफल रहा है। कई बार इन खदानों के मालिक प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में होते हैं, जिससे प्रशासन की कार्रवाई सीमित हो जाती है।
अवैध खनन के शिकार मजदूर
अवैध खनन में काम करने वाले मजदूर बेहद खराब परिस्थितियों में जीवन बिताते हैं। उन्हें उचित वेतन नहीं मिलता और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। इन खदानों में काम करने के दौरान उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए दक्षिण अफ्रीका सरकार से अवैध खनन गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
स्थानीय निवासियों का गुस्सा
स्टिलफोंटेन और आसपास के इलाकों में स्थानीय निवासियों में घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन और खनन कंपनियों की लापरवाही ने इन मजदूरों की जान ली है।
मृत मजदूरों के परिवारों का दर्द
घटना में मारे गए मजदूरों के परिवारों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है। कई परिवार अपने प्रियजनों के शवों की पहचान करने के लिए खदान स्थल पर पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां निराशा ही हाथ लगी।
सरकार की प्रतिक्रिया
दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने घटना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इस हादसे को दुखद बताते हुए कहा कि अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मारे गए मजदूरों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
यह घटना दक्षिण अफ्रीका के लिए एक चेतावनी है। अवैध खनन न केवल मजदूरों की जान को खतरे में डालता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। सरकार को चाहिए कि वह अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाए और मजदूरों के लिए सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां सुनिश्चित करे।

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