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अनूपपुर बना शून्य की ज़मीन सड़क विकास अधिकारियों की निष्क्रियता का काला सच

अनूपपुर बना शून्य की ज़मीन सड़क विकास अधिकारियों की निष्क्रियता का काला सच


अनूपपुर। मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला, जो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत विकास के पथ पर अग्रसर होना चाहिए था, आज अपने कामचोर अधिकारियों और भ्रष्ट तंत्र के कारण प्रदेश के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया है। महज कागजी आंकड़ों और झूठे वादों की हकीकत के बीच अनूपपुर ने प्रगति की दौड़ में खुद को “शून्य” तक सीमित कर लिया है।

शून्य’ प्रगति, ‘शून्य’ जिम्मेदारी
पीएम जनमन योजना के तहत गरीब और पिछड़ी बस्तियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 19 सड़कों का निर्माण अक्टूबर 2024 में अनुबंधित किया गया था। लेकिन आज तक न तो एक भी सड़क का निर्माण शुरू हुआ है और न ही पहले से चल रहे प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए हैं। ठेकेदारों, वन विभाग, और प्राधिकरण के बीच संवादहीनता ने योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

महोबिया और पहाड़े अनूपपुर के विकास के ‘दो पर्याय
ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक एस.के. महोबिया और सहायक प्रबंधक अमरलाल पहाड़े के नेतृत्व में जिले का विकास सिर्फ फाइलों तक सिमट कर रह गया है। तीन महीनों में ठेकेदारों को साइट निरीक्षण तक की अनुमति नहीं मिली। सड़कों के निर्माण के लिए जरूरी वन विभाग की मंजूरी, साइन बोर्ड, और लाइब्रेरी तक का इंतजार हो रहा है। अधिकारियों का गैरजिम्मेदाराना रवैया विकास में मुख्य बाधा बन गया है।

कमीशनखोरी और ठेकेदारों का उत्पीड़न
सूत्रों के अनुसार, सहायक प्रबंधक अमरलाल पहाड़े 10 से 15 प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे हैं। उनकी निजी स्वार्थपूर्ति की नीति ने ठेकेदारों को निराश और हताश कर दिया है। कई मामलों में, पहले से किए गए निर्माण कार्यों को भी मापदंडों पर खरा उतरने के बावजूद जानबूझकर खारिज कर दिया गया। पहाड़े का अमर्यादित व्यवहार, गाली-गलौज, और एससी/एसटी एक्ट में फंसाने की धमकियां उनके “नेतृत्व कौशल” को उजागर करती हैं। अगर यह सच है तो उच्चाधिकारियों को ध्यान देने वाली बात है। इनकी जांच जरूरी है सच्चाई सामने आने के लिए।

वन विभाग के साथ समन्वय की कमी
वन भूमि पर निर्माण कार्यों के लिए जरूरी अनुमतियां तक नहीं ली गई हैं। अमरलाल पहाड़े और एस.के. महोबिया के पास न तो कोई रणनीति है और न ही कोई समाधान। वन और राजस्व विभाग के बीच तालमेल की कमी से योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।

सड़कें जो ‘सपने’ बनी हुई हैं
अनूपपुर में 19 सड़कों का निर्माण होना था, जिनमें से कुछ प्रमुख मार्ग हैं
1. जैतहरी – छुलकारी रोड से खरबना टोला
2. पुष्पराजगढ़ – पडरी से धुमनिया
3. मंझौली से भालवार
4. सोनियामार से खालेटोला
5. केशवानी बम्हनी रोड से हर्रापानी
लेकिन अधिकारियों की निष्क्रियता ने इन सड़कों को सिर्फ कागजी योजनाओं तक सीमित कर दिया है।

क्या वाकई विकास संभव है?
जब जिला प्रबंधन का नेतृत्व ऐसे अधिकारियों के हाथ में हो, जिनकी प्राथमिकता अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति हो, तो विकास कैसे संभव होगा? कमीशनखोरी और लापरवाही ने अनूपपुर को “ग्रामीण सड़क विकास का शून्य” बना दिया है।

शून्य से शुरू, शून्य पर खत्म”
एस.के. महोबिया ने कहा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फरवरी तक दो-तीन कार्य पूरे हो जाएं।” लेकिन यह बयान भी उतना ही खोखला लगता है, जितना उनका नेतृत्व।

आगे की राह
यदि राज्य सरकार और वरिष्ठ अधिकारी अनूपपुर में हो रही इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाते, तो न केवल जिले का विकास ठप रहेगा, बल्कि यह पूरे प्रदेश के लिए एक शर्मनाक उदाहरण बन जाएगा। अनूपपुर का यह हाल सिर्फ एक जिले  की  उस भ्रष्ट तंत्र और लचर कार्यप्रणाली का प्रतीक है, जिसने विकास की नींव को कमजोर कर दिया है।

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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