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एमपी का जादुई नॉर्मलाइजेशन 100 में 101.66 अंक! गणित या चमत्कार?

एमपी का जादुई नॉर्मलाइजेशन 100 में 101.66 अंक! गणित या चमत्कार?

एमपी गजब है अंक और सामान्यीकरण का नया गणितीय चमत्कार
मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि असंभव को संभव बनाना केवल इस राज्य की विशेषता है। वन रक्षक परीक्षा के परिणामों में टॉपर को 100 में से 101.66 अंक मिलने का चमत्कार हुआ है। इस पर कोई कह रहा है, “क्या नॉर्मलाइजेशन है!” तो कोई पूछ रहा है, “ये कौन सा योगासन है?”
101.66 गणित का नया सूरज
आखिर कैसे संभव हुआ यह? जब दुनिया में लोग 100% की कोशिश करके भी 99 पर अटक जाते हैं, तो मध्यप्रदेश के टॉपर राजा भैया प्रजापत ने न केवल 100 को पार किया, बल्कि 101.66 अंक लेकर प्रतियोगिता में नया इतिहास रच दिया। अब सवाल यह है कि क्या अगले साल नॉर्मलाइजेशन की इस कला से टॉपर को 120 अंक भी दिए जा सकते हैं?
नॉर्मलाइजेशन गणित का नया तिलिस्म
ईएसबी के अनुसार, नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गणितीय फार्मूले का उपयोग कर प्रतियोगी परीक्षाओं में “विषमता” को “सामान्यता” में बदला जाता है। फार्मूला सुनने में आसान है
(अंकों के बराबर/कम अंक लाने वालों की संख्या ÷ पारी में उपस्थित अभ्यर्थियों की कुल संख्या) × 100
यह तो सीधा-सीधा बताता है कि नॉर्मलाइजेशन से आप 100 में 200 तक अंक भी पा सकते हैं। सोचिए, आने वाले समय में मध्यप्रदेश के परीक्षार्थी सीधे 100 की सीमा तोड़कर नई सदी के गणितज्ञ कहलाएंगे।
शून्य अंक वालों का दर्द
अब सवाल उन अभ्यर्थियों का है जिनके नॉर्मलाइजेशन के बाद 0 अंक आए। क्या उनका प्रदर्शन इतना सामान्य हो गया कि अंकों की गिनती ही नहीं हो पाई? या फिर नॉर्मलाइजेशन का फार्मूला “शून्य में महाशून्य” की अवधारणा पर काम करता है?
विद्यार्थियों का विरोध “101 क्यों, 102 क्यों नहीं?”
इंदौर में छात्रों ने कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए सवाल उठाया कि जब टॉपर को 101.66 मिल सकते हैं, तो 102 क्यों नहीं? वहीं कुछ छात्र यह भी मांग कर रहे हैं कि अगली बार परीक्षा में “अतिरिक्त अंक” पाने के लिए नॉर्मलाइजेशन के साथ क्रिएटिविटी बोनस जोड़ा जाए।
ईएसबी का पक्ष “सब सामान्य है”
ईएसबी के निदेशक साकेत मालवीय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “नॉर्मलाइजेशन बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई। जो समझ न पाए, वे गणित सीखें।” मालवीय साहब ने यह भी सुझाव दिया कि नॉर्मलाइजेशन को “पढ़ाई के बजाय प्रार्थना” पर आधारित मानना चाहिए।
मध्यप्रदेश की इस नई प्रक्रिया ने साबित कर दिया है कि न केवल अंक, बल्कि परिणामों की कल्पनाओं को भी ऊंचाई पर पहुंचाया जा सकता है। ईएसबी का नॉर्मलाइजेशन अब तक का सबसे “नॉर्मल” कदम है, जहां शून्य वाले भी अपनी किस्मत पर हंस सकते हैं और 101.66 पाने वाले नए सुपरह्यूमन बन सकते हैं।

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