जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह रोकथान को लेकर आवश्यक परामर्श जारी किए हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर में जिला अदालत जज डीपी सूत्रकार ने भी निर्देश जारी किए हैं। नगर निगम और जबलपुर क्षेत्राधिकार को लेकर जारी एडवायजरी में निर्देशित किया है कि विवाह कराने से पूर्व पुरोहित को वर-वधु के जन्म प्रमाण-पत्र की जांच करनी होगी। यही नहीं विवाह समारोह के लिए बुकिंग से पूर्व मैरिज गार्डन व होटल संचालकों को भी ऐसा ही करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत अपराध दर्ज किया जाएगा।
वर की आयु 21 और वधू की आयु 18 साल से कम न हो
एडवायजरी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो परामर्श जारी किया था, उसे गंभीरता से लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी मजिस्ट्रेटों को परामर्श की प्रति देते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने आदेशित किया था।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 की धारा-13 के अंतर्गत यह निर्देश जारी किए जाते हैं कि जबलपुर नगर निगम के क्षेत्राधिकार में विवाह संपन्न कराने वाले मैरिज गार्डन, होटल व पंडित वर-वधु के जन्म प्रमाण-पत्र की जांच करें।
वर की आयु 21 वर्ष और वधू की आयु 18 वर्ष से कम होने पर विवाह संपन्न न कराएं। एडवाइजरी का उल्लंघन होने पर बाल विवाह अनुष्ठान कराने का अपराध स्वत संज्ञान के आधार पर दर्ज किया जाएगा, जो अजमानती होगा।
इसकी धारा 10 के तहत दो वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। एडवाइजरी तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इस संबंध में नगर निगम को भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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